बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 56 साल पुरानी
सिंधु जल संधि की समीक्षा की थी। इस दौरान मोदी ने तीखे तेवर दिखाते हुए
टिप्पणी की थी कि पानी और खून साथ साथ नहीं बह सकते हैं। समीक्षा बैठक के
दौरान यह निर्णय लिया गया कि संधि के तहत भारत झेलम सहित पाकिस्तान
नियंत्रित नदियों के अधिकतम पानी का इस्तेमाल करेगा। सिंधु जल संधि की
समीक्षा बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, विदेश सचिव एस
जयशंकर, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेन मिश्रा और प्रधानमंत्री
कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। बैठक में इस बात पर भी गौर किया गया
कि सिंधु जल आयोग की बैठक आतंक मुक्त वातावरण में ही हो सकती है।
सरताज
ने मंगलवार को नेशनल एसेंबली को बताया कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत भारत
सिंधु जल समझौते से एकतरफा तरीके से नहीं हट सकता है।
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