बीकानेर। संवतसरी महापर्व पर अनेक श्रावक श्राविकाओं ने एक दिन के लिए मुनि जीवन व्यतीत करते हुए उपवास किया। गंगाशहर में हजारों लोगों ने सामूहिक उपवास किया। उपवास करने वालों में 5 वर्ष के बच्चों से लेकर 94 वर्ष तक के लोग शामिल थे। दिनभर तेरापंथ भवन में प्रवचन का क्रम चला। इस मौके पर साध्वी कनकश्री ने कहा कि संवत्सरी धार्मिक जीवन की वर्षगांठ है। यह आत्मलोचन और आत्ममंथन का दिन है। साधना आराधना द्वारा जीवन के कथाकल्प का दिन है। उन्होंने अपने प्रेरक प्रवचन में कहा कि संवत्सरी धार्मिकों को प्रतिवर्ष आगे बढऩे की प्रेरणा देती है। सेवा केन्द्र व्यवस्थापिका साध्वीश्री लज्जावतीजी ने भगवान महावीर के अहिंसा और मैत्री दर्शन को जीवन व्यवहार में उतारने की प्रेरणा दी।
भगवान महावीर के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प
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