हिसार। सरकार के नुमाइंदों को शायद स्थाई से ज्यादा अस्थाई व्यवस्था अधिक माफिक आने लगी है। तभी तो शहर की तीन प्रमुख समस्याओं का स्थाई समाधान नहीं निकाल पाए और अस्थाई व्यवस्था तक ही सीमित रहना पड़ा। अब सत्तासीन राजनीतिक दल अपनी पार्टी के अस्थाई कार्यालय को भी फिलहाल स्थाई नहीं कर पा रहा है। [@ ये हैं आज का एकलव्य, अपने ही टीचर से मांगी फिरौती...] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
सुना है कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय का पता - सेक्टर-15 से स्थानांतरित होने वाला है। दरअसल, सेक्टर-15 स्थित पार्टी का यह कार्यालय अस्थाई कार्यालय है और जिस नेता की जमीन पर यह कार्यालय बना हुआ है, वह किन्हीं विशेष परिस्थितियों में पार्टी से यह कार्यालय खाली करवाने की जुगत में है। वहीं पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो सेक्टर-14 में पार्टी के स्थाई कार्यालय की जमीन को लेकर हुडा की सभी औपचारिकतताओं को पूरी नहींकिया गया है। अभी सेक्टर-14 में पार्टी के कार्यालय वाली जमीन पर स्थाई निर्माण नहीं हो सकता। उम्मीद है कि जब सेक्टर-15 स्थित पार्टी के अस्थाई कार्यालय को खाली किया जाएगा तो उससे पहले सेक्टर-14 के पते पर अस्थाई व्यवस्था करके ही कार्यालय का संचालन किया जा सकेगा।
शहर की तीन प्रमुख समस्याएं हैं- वाहन पार्किंग समस्या, शहर लाइफ लाइन रोड पर ट्रैफिक जाम की समस्या और मुख्य मार्ग व कॉलोनियों मेंआवारा व बेसहारा पशुके विचरण की समस्या। चुनाव के दौरान सरकार में शुमार नेता ने इन तीन समस्याओं को दूर करने का वायदा किया था। एक समय सीमा भी निर्धारित की थी। शहर को स्मार्टसिटी बनाने का भी वायदा हुआ था। फिलहाल शहर स्मार्ट सिटी तो नहीं बना, मगर अस्थाई व्यवस्थाओं की सिटी जरूर बनता जा रहा है।
1. ट्रैफिक की अस्थाई व्यवस्था :
शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या सबसे ज्यादा बस स्टैंड से पारिजात चौक तक की है। इस समस्या के निदान के लिए सरकार ने नागोरी गेट से पारिजात चौक तक के रोड के बीच का डिवाइडर तोडक़र वहां जर्सी बैरियर लगा दिए। यह बैरियार अस्थाई व्यवस्था को लेकर रखे हुए हैं। ट्रायल के लिए ही रखे गए थे। फिलहाल प्रशासन इसे व्यवस्था को तो स्थाई मान रहा है, मगर व्यवस्था के लिए प्रयोग जर्सी बैरियर की जगह स्थाई डिवाइडर का निर्माण नहीं हुआ है। अब प्रशासन भगवान परशुराम चौक के पास से भी डिवाइडर तोडक़र यहां भी कोई अस्थाई व्यवस्था करने की कोशिश में है।
2. अस्थाई पशुबाड़ा :
शहर के मुख्य मार्ग हों, मुख्य बाजार हों या फिर कॉलोनियों की सडक़ें। कोई भी सडक़ या कॉलोनी ऐसी नहीं हैं, जहां बेसहारा पशुओं की समस्या न हो। सरकार इस समस्या को दूर करने के लिए भी अस्थाई व्यवस्था ही कर पाई है। धान्सू रोड पर अस्थाई नन्दी शाला बनाई गई। अब सरकार द्वारा जो करीबन 50 एकड़ भूमि पर गौ अभ्यारण्य बनाया जा रहा है, वहां भी आरंभिक चरण में अस्थाई व्यवस्था को लेकर ही समाजसेवियों से अपील की जा रही है।
3. अस्थाई पार्किंग व्यवस्था :
शहर के मुख्य मार्ग और मुख्य बाजारों में पार्किंग की समस्या बहुत अधिक गहराई हुई है। पुराने शहर में तीन स्थानों पर सरकार की तरफ से अस्थाई पार्किंग की व्यवस्था ही कर पाई है। राजगुरु मार्केट , न्यू राजगुरु मार्केट क्षेत्र और धोबीघाट क्षेत्र में वाहनों की पार्किंग के लिए अस्थाई मगर शुल्क के साथ पार्किंग प्रबंध हो पा रहे हैं। सिटी थाना रोड पर भी सरकार की तरफ से पार्किंग स्थल बनाने का प्रस्ताव है, जोकि फिलहाल ठंडे बस्ते में है, मगर शहर की जागरूक जनता ने ही अपने स्तर पर यहां अस्थाई पार्किंग व्यवस्था की हुई है।
4. ...और अब पार्टी का कार्यालय भी अस्थाई
शहरवासियों की समस्याओं को दूर करते-करते जो अस्थाई व्यवस्था की मुहर स्थानीय नेताओं पर लग रही है, वही मुहर अब पार्टी के कार्यालय को लग सकती है। सत्तासीन राजनीतिक दल के पास अपनी पार्टी के कार्यालय की जमीन का तो चयन हो चुका है, मगर यह कार्यालय अभी बन नहीं पाया है। इस जमीन पर निर्माण कार्य के लिए हुडा की सभी औपचारिकताओं को दल पूरा नहीं कर पाया है और सेक्टर-15 में जो पार्टी का किराए पर लिया हुआ कार्यालय है, उसे प्लाटधारक खाली करवाने की कोशिश में है। अब दल केस्थानीय नेताओं को यह चिंता सता रही है कि वे अपने कार्यालय को बार-बार कहां शिफ्ट करें। दल के नेताओं का हाल ही में विचार बना है कि वे सेक्टर-14 स्थित पार्टी के कार्यालय वाली जमीन पर अस्थाई रूप से कार्यालय का संचालन कर लें। मगर इसके साथ-साथ प्लाटधारक नेता के साथ भी मान-मनोव्वल की कोशिश हो रही है। शहर में चर्चा यह भी है कि इस प्लाटधारक नेता को पार्टी में शुमार करने के बाद अभी तक कोई विशेष पद नहीं मिल पाया है। जबकि सामने यह बात भी आ रही है कि प्लाट धारक नेता पार्टी के तथाकथित वरिष्ठ नेताओं को बताया है कि उन्हें इस जगह पर अपने रिश्तेदारों की रिहाईश करवानेकी मजबूरी है।
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