हालांकि, पैसे किनके हैं और कहां भेजे गए, इस संबंध में अभी विस्तृत
जानकारी नहीं मिल पाई है क्योंकि जांच अब भी चल ही रही है। टाइम्स ऑफ
इंडिया को मिली सूचना के मुताबिक ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के खिलाफ दो मामले
दर्ज हुए हैं जबकि आईसीआईसीआई बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडसइंड बैंक के
खिलाफ भी 1-1 केस रजिस्टर किया गया है। ये सारे मामले प्रिवेंशन ऑफ मनी
लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए) 2002 के तहत दर्ज किए गए हैं।
ऑरियंटल बैंक ऑफ
कॉमर्स और बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रीयकृत बैंक हैं। डेटा के साथ अटैच ईडी के
बयान में कहा गया है, ‘इन मामलों की जांच से पहली नजर में तो यही लगता है
कि कुछ मामलों में बैंक अधिकारियों की मिलीभगत है।’ किसी खास मामले का
जिक्र किए बिना एक अधिकारी ने बताया कि आखिर इस तरह की मिलीभगत कैसे संभव
हुई? उन्होंने कहा, ‘अधिकारियों ने नो-योर-कस्टमर (केवाइसी) के अलावा
नॉन-रेजिडेंट ऑर्डिनरी (एनआरओ) अकाउंट्स बनाने से संबंधित नियमों के
उल्लंघन में मदद की। यह जांच का विषय है कि ऐसा उन्होंने जानबूझकर किया या
फिर अनजाने में। साथ ही, पहचान प्रक्रिया को नजरअंदाज कर खाते खोलने के
मामले भी हो सकते हैं।’
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