हिमांशु तिवारी, कानपुर। यूपी विधानसभा के पहले चरण
का मतदान जहां सम्पन्न हो गया वहीं दूसरे चरण का मतदान भी सुबह सात बजे से शुरू हो
गया। पर इस चुनावी रण में राजनेताओं ने चुनाव प्रचार का तरीका ही बदल दिया
है। जनता से सरोकार होने वाले मुद्दे जाति-धर्म व आरोप-प्रत्यारोप के आगे
पूरी तरह से फीके दिखाई दे रहें है। कहा जाता है दिल्ली की कुर्सी उत्तर
प्रदेश से ही निकलती है। ऐसे में सभी पार्टियां यूपी विधानसभा चुनाव को
सेमीफाइनल से कम नहीं आंक रही है। जिसके चलते सियासी दलों ने जनता का दिल
जीतने के लिए दिन रात एक किये हुए हैं। [@ सपा विधायक अरुण वर्मा पर गैंगरेप का आरोप लगाने वाली युवती की हत्या] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
महीनों से एक-दूसरे को घेरने के लिए रणनीतियां बनाई
जा रही थी। इसके अलावा रोजाना चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए
नये-नये प्लान तैयार किये जा रहें है। रैलियों में जनता के सामने एक-दूसरे
की कमजोर कड़ियों को खोला जा रहा है। किन्ही-किन्ही जगहों पर राजनेता जोश
में राजनीतिक मर्यादा भी भूल जाते हैं। सभी की कोशिश रहती है कि प्रत्यक्ष
या अप्रत्यक्ष चुनाव जाति-धर्म तक सीमित हो जाए। लेकिन शायद ही कहीं जनता
से जुड़े सरोकार के मुद्दे सुनाई देते हों। जिसके चलते गली, मोहल्लों व चाय
या पान की गुमटियों पर होने वाली चुनावी चर्चाओं में भी यह मुद्दे नहीं
सुनाई देते। अगर कोई अक्खड़ इन मुद्दों पर बोलता भी है तो कोई उसकी बातों को
कोई गौर नहीं करना चाहता।
चुनावी चर्चाओं पर एक नजर
कल्याणपुर विधानसभा के रावतपुर रेलवे क्रासिंग के
ऑटो स्टैण्ड के पास सात आठ युवक बात कर थे। प्रतियोगी छात्र अंकित
श्रीवास्तव ने कहा कि सपा विधायक सतीश निगम ने कल्याणपुर में सबसे अधिक
विकास कार्य करा है। उसी को वोट करना चाहिए। इस पर दूसरा प्रतियोगी छात्र
अनिल सिंह ने कटाक्ष किया कि और जो कहा वह हम नहीं लिख सकते, लेकिन उसका
सार तत्व यह रहा कि सतीश निगम अल्पसंख्यक वर्ग के वोट के लिए कुछ भी कर
सकता है। इसी तरह किदवई नगर विधानसभा में बगाही रोड़ के कार्नर पर रामू पान
वाले के यहां कुछ लोग चुनावी चर्चा में मशगूल रहे। कोई भाजपा का पक्षधर इस
बात से है कि हिन्दुओं की बात करती तो कोई जाति के चलते अखिलेश की हिमायती
कर रहा था। इसी बीच करीब 32 वर्ष का बेरोजगार युवक सतीश रघुवंशी आ गया और
थोड़ी देर बाद कहा कि हमारे यहां का दुर्भाग्य है कि वोट के लालच में
सत्ताधारी पार्टियां सही निर्णय नहीं ले पाती। जिससे शिक्षा का स्तर लगातार
गिर रहा है और नकल करने वाले लड़के मेरिट के आधार पर नौकरी पा रहें है। ऐसे
ही चुनावी चर्चा गोविन्द नगर, सीसामऊ व कैंट विधानसभा में देखी गई। पर मुद्दों
की बात करने वालों को कहीं तरहीज नहीं मिली।
जानकारों का कहना
डीएवी कॉलेज के डॉ.अनूप सिंह का मानना है कि चुनाव
के दौरान जनता से जुड़े सरोकार के मुद्दे इसलिए गायब हो जाते हैं क्योंकि
जनता ही नहीं ऐसे माहौल में सुनना चाहती। लच्छेदार बातें, जातीय व धार्मिक
मुद्दों पर आसानी से वोट हासिल किया जा सकता है। इसी के चलते राजनेता इन
मुद्दों से दूरियां बना लेते हैं। चन्द्रशेखर आजाद क्रांतिकारी संस्था के
अध्यक्ष सर्वेश कुमार पाण्डेय का कहना है कि जब तक जनता स्वास्थ्य, सड़क,
बिजली, रोजगार, मंहगाई, शिक्षा जैसे मुद्दों को आधार बना मतदान करने का
फैसला नहीं लेगी तो ऐसे ही चुनाव आते रहेंगे और जाते रहेंगे। पर कभी भी
राजनेता इन मुद्दों पर मुंह नहीं खोलेगें, हां चुनाव के पहले व बाद जरूर इन
मुद्दों पर बड़ी-बड़ी बातें करेगें।
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