चंडीगढ़। जाट आरक्षण आंदोलन अभी ओर लंबा चलेगा। सरकार ओर जाट नेताओं के बीच पहले दौर की के बाद भी आंदोलन अभी तक जा रही है। माना जा रहा है कि मनोहर सरकार के अधिकतर गैर जाट मंत्रियों व गैर जाट विधायकों द्वारा जाट आंदोलनकारियों की सभी मांगों के प्रति सकारात्मक रुख नहीं होने से यह नौबत आई है। आंदोलनकारियों को जिस तरह से राजनीतिक समर्थन मिल रहा है और आंदोलनकारी 19 फरवरी को धरना स्थलों पर बलिदान दिवस मनाने पर अड़े हैं, उससे नहीं लगता कि स्थिति सामान्य हो पाएगी। गैर जाट मंत्रियों व विधायकों के सभी मांगें मानने से मना करने के बाद अब सरकार भी अपनी तैयारी करती दिख रही है। हालात बिगड़े तो आंदोलनकारियों पर सख्ती का विकल्प अपनाया जा सकता है। इस बात के संकेत खुद मुख्यमंत्री ने दिए हैं। यह अलग बात है कि सरकार के प्रतिनिधि जल्द ही दूसरे दौर की बातचीत होने का दावा कर रहे हैं। [@ ऑनलाईन खरीददारी पडी मंहगी, कंपनी ने भिजवाया पुराना मोबाइल] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
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