असगर नकी, अमेठी। देश और
प्रदेश की पटल अमेठी वीवीआईपी इलाके में शुमार होती है लेकिन इस तमगे पर बट्टा तब
लगता है जब यहां कापी-पेंसिल वाले हाथों में कहीं ईंट और पत्थर तो कहीं होटल के
गंदे बर्तन देखने को मिलते हैं। जबकि सरकारें साक्षरता के नाम पर लाखों खर्च कर
बड़े-बड़े दावे कर रहीं हैं। लेकिन ये सभी दावे हवा-हवाई ही हैं। [@ जेल से निकलते ही पूर्व मंत्रीजी को टिकट, पढ़िये हंडिया विधानसभा की दिलचस्प कहानी]
मौलिक
अधिकारों से वंचित गुज़ार रहे बंधुआ मजदूर की जिंदगी
पेट की भूख मिटाने के लिए मासूम बच्चे जान जोखिम में डाल ख़तरों से भरे काम करने
के लिए विवश है। यही नहीं सरकारी दावों के बावजूद आज भी लाखों बच्चे भोजन,
स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी अपने मौलिक अधिकारों से भी वंचित हो रहे है।
यही नहीं अभी भी लगभग हज़ारों बच्चे कहीं सड़कों पर गुजारा करते है तो कहीं आस-पास
बतौर बंधुआ मजदूर काम कर रहे हैं।
जनपद के इन
इलाकों में चरम पर है बाल श्रम
अतिविशिष्ट जनपद अमेठी में भी बाल श्रम चरम पर है जनपद के मुसाफिरखाना ,जगदीशपुर
,कमरौली औद्योगिक क्षेत्र समेत नेशनल हाईवे लखनऊ-वाराणसी पर चल रहे दर्जनों
रेस्तरां,होटलों, ढाबों,रेलवे स्टेशन और मिठाई की दुकानों पर किसी भी समय दो वक्त
की रोटी के लिए मेहनत करते बाल श्रमिक देखे जा सकते हैं सवाल यह उठता है कि
जिम्मेदारों को यह सब दिखाई क्यों नही पड़ता।
कई प्रतिष्ठान
पर मिल जाएँगे बाल श्रमिक
अमेठी जनपद के कई प्रतिष्ठित मिष्ठान की दुकानों, चाय-पान की दुकानों व रेस्त्राओं
में बाल श्रमिक जूठन धुलते व मजदूरी करते अक्सर दिखते है सवाल पूछने पर श्रमिक
बच्चो का एक ही जवाब होता था कि पेट भरने के लिए मजदूरी करना पड़ रहा है। स्कूल
जाने की बात पर एक चुप हजार चुप वाली मुद्रा में आ जाते हैं। इस बात से जनपद
प्रशासन पूरी तरह बेपरवाह है हालाकि खानापूर्ति के लिए ही बाल श्रम विभाग अमेठी
कागजी कार्यवाही में तो कोई कोताही करता नही दिखता ।
सभी महिला पहलवानों को रिहा कर दिया गया - दिल्ली पुलिस
आईपीएल 2023 - सीएसके और जीटी के बीच फाइनल बारिश में धुला, आज होगा मैच
सीबीआई ने ऋण धोखाधड़ी मामले में बॉलीवुड निर्माता बंटी वालिया पर मामला दर्ज किया
Daily Horoscope