झाँसी। राजनैतिक बहसों में भले ही राजनैतिक दल एक दूसरे पर क्राइम के मामलों पर हमला बोलते हैं लेकिन आंकड़ें कुछ और ही इशारा करते हैं। पिछले तीन सालों के उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि बुन्देलखण्ड में हत्या के मामलों में कमी आई है। आंकड़े इसलिये भी चौँकाने वाले हैं क्योंकि लूट और चोरी की तुलना में हत्या के मामलों को दबा पाना पुलिस के लिये मुश्किल होता है। हमारी टीम ने झाँसी मण्डल के तीन जिलों के आंकड़ों का अध्ययन किया तो यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है।
मण्डल के तीनों जनपदों में घटे हत्या के मामले
झाँसी मण्डल में तीन जिले झाँसी, ललितपुर और जालौन शामिल है। सबसे पहले बात मण्डल मुख्यालय यानि झाँसी जनपद की करते हैं। झाँसी जनपद में साल 2014 में हत्या के कुल 56 केस दर्ज किये गए। साल 2015 में 54 और साल 2016 में हत्या के 52 केस दर्ज किये गए। जालौन जनपद में साल 2014 में हत्या के 32 केस दर्ज हुए। साल 2015 में 29 और साल 2016 में 32 केस दर्ज हुए। ललितपुर जनपद में साल 2014 में हत्या के 24 केस दर्ज हुये। साल 2015 में 19 और साल 2016 में 21 केस दर्ज हुए। पुलिस विभाग के आंकड़े बताते हैं कि साल 2016 में झाँसी के हत्या के 52 मामलों में से 50 का खुलासा कर लिया गया। इसी तरह 2016 के ही जालौन के 32 में से 31 और ललितपुर के 21 में से 20 मामलों को सुलझाने का दावा पुलिस फाइलों में दर्ज है। जानकार बताते हैं कि लूट और चोरी के मामलो को दर्ज करने में तो पुलिस अक्सर आनाकानी करती है लेकिन हत्या के मामले उसे दर्ज करने ही पड़ते है। ऐसे में हत्या से जुड़े इस तथ्य पर अधिक संदेह करना उचित नहीं है। यह आंकड़े पुलिस को तसल्ली देने वाले हैं, भले ही खुलासों के तौर तरीकों को लेकर पुलिस की कार्यशैली की आलोचना की जाये।
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