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उम्मीदवारों के ऐलान के बाद पार्टीयों में प्रारंभ हुआ बगावत का दौर

Reballian began after the candidate announcement - Punjab-Chandigarh News in Hindi

चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल और आप पार्टी में उम्मीदवारों के ऐलान के बाद बगावत का सिलसिला शुरु हो गया है। पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू की अगुवाई में बना आवाज-ए-इंसाफ मोर्चा भी बिखर गया है। बगावत के डर से कांग्रेस फिलहाल उम्मीदवारों की घोषणा से बच रही है। यह तय है कि अकाली दल और भाजपा को विधानसभा चुनाव मिल कर लडऩा है, लेकिन भाजपा कुछ सीटों पर अकाली दल से अदला-बदली चाहती है। भाजपा कौन-सी सीटें अकाली दल से मांग रही है और पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल क्या उनकी मांग मान लेंगे, यह अभी साफ नहीं हो पाया है।

पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने अकाली दल के अध्यक्ष के नाते 69 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। भाजपा के लिए समझौते के तहत उन्हें 23 सीटें छोडऩी हैं। ऐसे में अकाली दल जल्दी ही बाकी 25 सीटों के लिए भी अपने उम्मीदवार घोषित कर देगा। उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होते ही अकाली दल में बगावत शुरु हो गई है। पहली सूची में अकाली दल ने अपने छह विधायकों के टिकट काटे हैं। इसके साथ ही विधायक सवरण सिंह फिल्लौर और अविनाश चंद्र ने अकाली दल का दामन छोड़ दिया। पूर्व मंत्री फिल्लौर ने अब कांग्रेस का दामन थाम लिया है। वे करतारपुरा से विधायक हैं, जबकि फिल्लौर से विधायक अविनाश चंद्र ने अभी तय नहीं किया है कि वे किस पार्टी में जाएंगे।

राज्य योजना बोर्ड के चेयरमैन गुरचरण सिंह चन्नी भी नाराज चल रहे हैं। वे जालंधर कैंट सीट से टिकट के दावेदार थे। यहां से सरबजीत सिंह मक्कड़ को टिकट के ऐलान के बाद वे अकाली दल का दफ्तर छोड़ कर जालंधर चले गए हैं। इस बीच बाघापुराना क्षेत्र के अकाली विधायक महेशइंद्र सिंह ने पार्टी छोड़ दी है। उन्होंने आरोप लगया है कि एक पुलिस अफसर के मार्फत उन्हें धमकी दी गई है कि अगर अकाली दल के खिलाफ आवाज उठाई तो उन्हें किसी केस में फंसा दिया जाएगा। महेशइंद्र सिंह ने अभी साफ नहीं किया है कि वे किस पार्टी में शामिल होंगे। इसके अलावा पूर्व सांसद गुरचरण सिंह गालिब के बेटे सोनी गालिब ने भी अकाली दल को अलविदा कह कांग्रेस में आ गए हैं।

उधर, आप पार्टी भी बगावत झेलने को मजबूर है। आप पार्टी की पंजाब इकाई के संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर के पार्टी छोडऩे के बाद बगावत का जो सिलसिला शुरु हुआ था, वह अभी थमा नहीं है। हाल ही बैंस बंधुओं के साथ चुनावी तालमेल का फैसला करना भी आप के लिए भारी साबित हो रहा है। बलविंदर सिंह बैंस और सिमरजीत सिंह बैंस, दोनों भाई विधायक हैं और उन्होंने विधानसभा के विशेष सत्र में अपने पदों से इस्तीफा देने के बाद आप से चुनावी तालमेल किया है। समझौते के तहत उन्हें छह सीटें मिली हैं, पर यह फैसला आप के कार्यकर्ताओं को रास नहीं आया है।

आप के उपाध्यक्ष रिटायर्ड कर्नल सीएम लखनपाल इस निर्णय से नाखुश हैं। पार्टी नेताओं को चेतावनी दी गई है कि अगर फैसला नहीं बदला गया तो बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरा जाएगा। इसके अलावा आप नेता व ओलंपियन सुरेंद्र सिंह सोढ़ी ने भी पार्टी छोड़ते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह की मौजूदगी में कांग्रेस ज्वाइन कर ली है।

इस बीच आवाज-ए-इंसाफ मोर्चा के दो पूर्व विधायक बलविंदर सिंह बैंस और सिमरजीत सिंह बैंस ने पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू का साथ छोड़ कर आप के साथ समझौता कर लिया है। सिद्धू के अभी तक यह फैसला नहीं कर पाने पर कि वे कहां जाएंगे, बैंस बंधुओं ने आगे उनके साथ चलने से गुरेज किया है। सिद्धू के एक अन्य साथी पूर्व विधायक परगट सिंह भी एक-दो दिन में तय कर लेंगे कि उन्हें आगे की राजनीति किस पार्टी के साथ करनी है। सिद्धू अब अपने बनाये मोर्चे में अकेले ही रह गए हैं।

पंजाब कांग्रेस ने उम्मीदवारों के चयन का अधिकार पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दिया है। इस मुद्दे पर अगले एक-दो दिनों में बैठक कर विचार-विमर्श किया जाएगा। भले ही कहा कुछ भी जाए, पर कांग्रेस बगावत के डर से उम्मीदवारों की घोषणा जितना हो सके, टालती रहेगी। कांग्रेस में एक-एक सीट पर टिकट के कई-कई दावेदार हैं और सच यही है कि टिकटों की घोषणा के साथ ही कांग्रेस में बगावत का सिलसिला थमने वाला नहीं है। ऐसे में नामाकंन दाखिल करने की तारीख नजदीक आने पर ही उम्मीदवारों का ऐलान होगा।

भाजपा ने पिछले चुनाव में अकाली दल के साथ मिल कर राज्य की 117 सीटों में से 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी। अकाली-भाजपा गठबंधन लगातार दस साल से सत्ता में है। माना जा रहा है कि इस बार चुनाव में भाजपा को लोगों के सत्ता विरोधी रुख का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में भाजपा अकाली दल के साथ कुछ सीटों की अदला-बदली करना चाहती है। अकाली सुप्रीमो सुखबीर बादल भाजपा के इस आग्रह को स्वीकार करेंगे या नहीं, यह अभी साफ होना है। भाजपा के लोगों का उत्साह बढ़ाने के मकसद से पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह पंजाब में एक रैली कर चुके हैं और जल्दी ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पंजाब दौरे पर आने वाले हैं। ऐसे में तय है कि भाजपा उम्मीदवारों की घोषणा होने में अभी और समय लगेगा


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Web Title-Reballian began after the candidate announcement
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