नई दिल्ली। आरबीआई ने बैंकरों को निराश करते हुए रेपो रेट में कोई कटौती नहीं की है। आरबीआई ने मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को 6.25 फीसदी पर ही बरकरार रखा है। साथ ही मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ की दर का अनुमान घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया। ज्ञातव्य है कि इससे पहले 7 दिसंबर 2016 की समीक्षा में आरबीआई ने आर्थिक विकास की दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
रिजर्व बैंक से सस्ते ब्याज दरों की आस लगाए लोगों को तगड़ा झटका लगा है।
आरबीआई ने ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है। केंद्रीय बैंक के इस फैसले
के बाद होम लोन की ईएमआई कम नहीं होगी।
महंगाई कम रखने का लक्ष्य:
आरबीआई ने कहा है कि मार्च 2017 में महंगाई में लक्ष्य के मुताबिक 5 प्रतिशत के नीचे रहेगी। आरबीआई ने अप्रैल से सितंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई में और कमी की उम्मीद जताई गई है। आरबीआई का मानना है कि अप्रैल से सितंबर के बीच सीपीआई 4 से 4.5 प्रतिशत तक रहेगी। हांलांकि अक्टूबर से महंगाई के बढकर फिर से 5 प्रतिशत तक या इससे थोडा ऊपर पहुंचने की आशंका है।
जीडीपी ग्रोथ मेें कमजोरी के कारण:
आरबीआई ने कहा है कि अर्थव्यवस्था के कमजोर पडने के पीछे तीन कारण हो सकते हैं।
1. आरबीआई के अनुसार पहला कारण कच्चे तेल की अंततराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि। जनवरी 2014 में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से गिरकर जनवरी 2016 तक 30 डॉलर प्रति बैरल के नीचे पहुंच गई थी।
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