कोलकाता। आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को गुरूवार को अपने कोलकाता दौरे में
तृणमूल कांग्रेस के साथ ही कांग्रेस व वाम दलों के विरोध का भी सामना करना
पडा।
तृणमूल कांग्रेस के मंत्रियों और राज्य के विधायकों ने गुरूवार को लगातार
दूसरे दिन भी कोलकाता स्थित भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय के
समक्ष धरना दिया। ये राज्य में नए नोटों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने का
विरोध कर रहे हैं। यह धरना ऎसे समय में दिया गया जब देश के सर्वोच्च बैंक
के गवर्नर उर्जित पटेल भवन के अंदर बैंक के प्रबंधन बोर्ड की बैठक में भाग
ले रहे थे।
पार्टी के बडे नेताओं के साथ तृणमूल कांग्रेस के कई समर्थकों ने यहां
रिजर्व बैंक के गेट पर नारेबाजी की और काले झंडे दिखाए। वे केंद्र सरकार
द्वारा बडे मूल्य के नोटों को बंद करने के फैसले को वापस लेने की मांग कर
रहे थे। इस नोटबंदी की वजह से देश में नकदी का अपूर्व संकट पैदा हो गया
है।
राज्य के सिंचाई मंत्री राजीव बनर्जी ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री को
बताना चाहिए कि नोटबंदी क्यों की गई। यदि यह आम आदमी के लाभ के लिए है तो
37 दिनों के बाद भी इतने लोग लाइन में क्यों खडे हैं।
उन्होंने कहा कि यह विचित्र बात है कि जो फैसला रिजर्व बैंक के गवर्नर को
करना चाहिए वह फैसला प्रधानमंत्री के स्तर से किया जा रहा है। कुल सात देश
नोटबंदी करने का प्रयास कर चुके हैं और सभी बुरी तरह नाकाम रहे हैं।
उन्होंने सवाल किया कि किस वजह से उन्होंने यह सोचा कि यह भारत जैसे बडे
देश में सफल होगा।
पार्टी के प्रवक्ता निर्मल घोष ने शहर में पटेल के दौरे का उल्लेख करते हुए
कहा कि आरबीआई के गवर्नर को आम जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेने
के बारे स्पष्टीकरण देने का अधिकार होना चाहिए। हम लोग इस फैसले को तत्काल
वापस लेने की मांग करते हैं।
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