रामनरेश जी भी इस टिकट के दावेदार थे।
बच्चा बाबू दिल्ली से टिकट लेकर लखनऊ पहुंचे, उधर रामनरेश जी ने बाबू रमाशंकर के
मडय़ा स्थित आवास पर धरना शुरू कर दिया कि उन्हें कितनी बार कुर्बानी देनी पड़ेगी।
यह वार्तालाप चल ही रहा था कि तभी बच्च बाबू का फोन बाबू रमाशंकर के पास आया कि
उन्हें सांसदी का टिकट मिल गया है। बाबू रमाशंकर ने उनसे कहा कि वह लखनऊ से ही
वापस दिल्ली जाकर टिकट वापस कर दें, क्योंकि यह चुनाव रामनरेश जी ही
लड़ेंगे। बच्चा बाबू ने तत्काल दिल्ली जाकर टिकट वापस कर दिया। रामनरेश जी चुनाव
लड़कर सांसद बने। यह अलग बात है कि कुछ ही दिनों बाद सूबे का मुख्यमंत्री बन जाने
के कारण रामनरेश जी ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और उपचुनाव में
कांग्रेस की मोहसिना किदवई ने जीत दर्ज की।
एक ऐसा मंदिर जहां दीपक की लौ से बनती है केसर
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