जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय (जोधपुर पीठ) ने निर्णय दिया है कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जोधपुर के पांच वर्षीय लॉ डिग्री के किसी सेमेस्टर की परीक्षा में असफल रहने पर विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षार्थी को दुबारा परीक्षा में बैठने का अवसर देते हुए अगले सेमेस्टर में प्रवेश दिया जा सकता है, किंतु दुबारा भी परीक्षा में असफल रहने पर परीक्षार्थी को पुन: निम्न सेमेस्टर में प्रवेश लेने का नियम मानना होगा।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों जस्टिस कैलाश चन्द्र शर्मा तथा जस्टिस गोविंद माथुर की बैंच ने अम्बरीन इरशाद प्रकरण में यह महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। ज्ञातव्य है कि एनएलयू जोधपुर की छात्रा अम्बरीन इरशाद को चौथे समेस्टर की परीक्षा में असफल रहने पर पांचवें समेस्टर में प्रवेश दिया गया था तथा चौथे समेस्टर की परीक्षा में पुन: बैठने की अनुमति दी गई थी किंतु छात्रा चौथे सेमेस्टर की दुबारा दी गई परीक्षा में भी असफल रही। इस पर विश्वविद्यालय ने उसे पुन: चौथे सेमेस्टर में प्रवेश लेने को कहा गया था। छात्रा ने एनएलयू जोधपुर के इस नियम को यह कहते हुए उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी कि अन्य लॉ यूनिवर्सिटीज में ऐसा नहीं है।
उच्च न्यायलय ने अपने निर्णय में कहा है कि देश की लॉ यूनिवर्सिटियों में भले ही एक कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट की परीक्षा के माध्यम से प्रवेश दिया जाता है, किंतु प्रत्येक यूनिवर्सिटी के अपने नियम हैं तथा एक यूनिवर्सिटी के नियम दूसरी यूनिवर्सिटी पर लागू नहीं होते। विश्वविद्यालय की एकेडेमिक काउंसिल में प्रोफेसरों द्वारा छात्रों को विश्वविद्यालय में प्रवेश देने, उनकी परीक्षाएं आयोजित करने, परिणाम घोषित करने आदि प्रक्रिया संबंधी निर्णय लेकर नियम बनाए जाते हैं, वे ही नियम विश्वविद्यालय में लागू होते हैं। अत: छात्रा अम्बरीन इरशाद की याचिका निरस्त की जाती है।
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