अजमेर। सरकार के आश्वासन के बाद रेल हड़ताल को टाल चुके रेल कर्मचारी संगठन एक बार फिर बड़े आन्दोलन के मूड में है । एक तरफ सरकार पर नवम्बर तक हड़ताल की चेतावनी के साथ उठाये गये मुद्दों पर निर्णय नहीं होने से नाराज है रेल कर्मचारी संगठन तो दूसरी तरफ रेलवे बोर्ड के उस निर्णय ने आग में घी का काम किया है। जिसमें सेफ्टी कैडर के कर्मचारियों को ट्रेड यूनियन में पदाधिकारी नहीं बनने सम्बन्धी फरमान सुनाया गया है । देश भर में सोमवार को रेल कर्मचारी संगठन काला दिवस मना रहे है । यह वो तमाम संगठन है जो कुछ महीनों पहले केंद्र सरकार के मंत्री समूह से वार्ता कर खुश थे की सरकार उनकी सातवें वेतन ,नई पेंशन नीति को वापस लिए जाने के साथ ही वेतन विसंगतियो को समाप्त करने और वेतन समझौते को लागू करने की मांग मानने जा रही है और इस आश्वासन के बाद इन संगठनो ने ग्यारह जुलाई 2016 की अपनी प्रस्तावित हडताल को भी टाल दिया था। एक तरह कथित रूप से सरकार की वायदा खिलाफी तो दूसरी तरफ सेफ्टी कैडर के ट्रेड यूनियन में पदाधिकारी नही बनने सम्बन्धी फरमान ने रेल कर्मचारी संगठनो को भडका दिया है । बात एक बार फिर रेल का चक्का जाम करने की होने लगी है। खास बात यह है की इस बार एलान किया जा रहा है की ना तो सरकार से कोई वार्ता होगी और ना ही हड़ताल का कोई नोटिस ही दिया जाएगा । यानी सरकार ने मांगे नही मानी तो रेल कर्मचारी संगठन कभी भी हडताल का एलान कर सकते है । [@ गर्ल्स के उत्साह, उमंग और उत्सव में खिली दिल की धडक़न] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
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