कानपुर। पुखरायां और रूरा के भीषण रेल हादसों को देखते हुए आईआईटी
कानपुर ने कई प्रोजेक्ट्स पर काम करना शुरू कर दिया है। जिससे टूटी पटरी, कोच ट्रेनों
के पहियों में खराबी व सिग्नल आदि की खराबी की जानकारी हादसा होने से पहले ही चालक
को हो जाएगी। [@ Punjab election- सिदू के साथ कई भाजपा नेता भी बगावत को तैयार ]
आईआईटी कानपुर ने रेलवे में बढ़ रही घटनाओं को रोकने के लिए टेक्नोलॉजी
मिशन फॉर रेलवे सेफ्टी नामक प्रोजेक्ट्स पर काम करना शुरू कर दिया है। जिसमें एक ऐसी
डिवाइस तैयार की जा रही है जो टूटी पटरी के पांच सौ मीटर पहले ही चालक को जानकारी दे
देगी। इसी तरह दूसरी डिवाइस से कोचों के पहियों में होने वाली खराबियों की भी पहले
सूचना दे देगी। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ वेंकटेश व सॉफ्टवेयर इंजीनियर
बीएम शुक्ला ने इसका रोडमैप भी तैयार कर लिया है।
शुक्ला ने बताया कि यह प्रस्ताव रेलवे
को भेजा जाएगा। वहां से हरी झंडी मिलते ही प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाने का काम शुरू
किया जाएगा। शुक्ला ने कहा कि डिवाइस तैयार करने में करीब एक साल का समय और 50 लाख
रुपए की लागत आएगी। हालांकि यह पहली बार नहीं है इसके पहले भी आईआईटी रेल हादसों को
रोकने के लिए कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर चुका है। जिनमें क्रॉसिंग पर स्वतः जानकारी
वाली डिवाइस का तो उन्नाव के सोनिक क्रॉसिंग पर सफल परीक्षण भी हो चुका है।
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