कोलकाता। नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्रनाथ टैगोर की मौत क्यों हुई थी, इस बात का शायद बहुत ही कम लोगों को पता है। अब टैगोर के पैतृक आवास की देखरेख करने वाले रविंद्र भारती यूनिवर्सिटी ने उन घटनाओं और कारणों की पड़ताल करने का फैसला किया है, जिनके कारण 1941 में उनकी मौत हुई। वर्ष 1940 के शुरू होने के बाद ही वह बीमारी की चपेट में आते चले गए। टैगोर का लोगों के बीच इतना ज्यादा सम्मान था कि लोग उनकी मौत के बारे में बात नहीं करना चाहते थे। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी म्यूजियम में वो कमरा है, जहां टैगोर ने अंतिम सांसें ली थीं, लेकिन इस म्यूजियम में टैगोर के आखिरी दिनों की कोई रिकॉर्डिंग नहीं है।
रविंद्र भारती विश्वविद्यालय के कुलपति सव्यसाची बासु रॉय चौधरी रविवार को कहा कि अब हमने इस रहस्य से पर्दा उठाने का फैसला किया है कि आखिर उनकी मौत का कारण क्या था। ऐसा नहीं है कि टैगोर की मौत के बारे में किसी को भी नहीं पता। उनके कमरे के बाहर के बरामदे को जिस ऑपरेशन के लिए ऑपरेशन थिएटर में बदला गया था, वह उनका आखिरी ऑपरेशन साबित हुआ। इसके बारे में दस्तावेज भी हैं, लेकिन ज्यादातर लोग नहीं जानते कि टैगोर की मौत का कारण शायद प्रोस्टेट कैंसर था।
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