कपूरथला। पंजाब पुलिस 2016 में राज्य में कानून व्यवस्था को कायम कर पाने में
बुजुर्ग साबित हुई। दुष्कर्म में मिला नंबर वन का ताज। अपहरण में लगातार
बढ़ोत्तरी। ड्रग्स तस्करी का सैकड़ों करोड़ का कारोबार, आइएसआइ के हमले, बेलगाम गैंगस्टरों की फौज, पुलिस व जेल पर हमले करके गैंगेस्टर बेखौफ होकर
अपने साथियों को कैद से लेकर फरारी के तमाम मामले, धार्मिक ग्रंथों की
बेअदबी और धार्मिक हस्तियों पर लगातार किए जा रहे हमलों ने भी पुलिस की पोल
खोली। [@ Exclusive- राजनीति के सैलाब में बह गई देश के दो कद्दावर परिवारों की दोस्ती]
पंजाब के मौजूदा कानून व्यवस्था को लेकर पुलिस के चुनिंदा ईमानदार
अधिकारी यह कहने में गुरेज नहीं करते हैं कि जब पुलिस के पास पुलिस के
अधिकार ही नहीं रहेंगे तो यही हालात होंगे। मसलन सरकार के एक प्रयोग ने
खाकी को विधायकों, हलका इंचार्जों जैसे नेताओं के नीचे लगा दिया है। पुलिस
सबसे पहले इन्हें रिपोर्ट करती है और इनकी खुशामदीद बनी हुई है।1849 में
पंजाब पुलिस की स्थापना के बाद चीन, लद्दाख व कश्मीर की सीमा तक कानून
व्यवस्था का राज कायम करने वाले पंजाब का कार्यक्षेत्र अब काफी कम रह गया
है, लेकिन 150 सालों में यह पहली बार हुआ कि पुलिस अपने ही अधिकारों के
इस्तेमाल के लिए सत्ताधारी नेताओं की मर्जी पर निर्भर हो गई है। नतीजतन,
लगातार नेताओं की शह पर लगातार गैंगस्टरों की फौज खड़ी हो रही है और पुलिस
का खौफ दिनोंदिन कम होता जा रहा है। न तो महिलाओं के प्रति अपराधों में
पंजाब में कोई कमी आई और न ही अपराधियों पर नकेल कसी गई। सैकड़ों महिलाएं
अपराधियों का शिकार बनीं।
दुष्कर्म के मामले में पंजाब के लुधियाना को देश
में नंबर का दर्जा बीते दो सालों में मिला। साल में 597 दुष्कर्म, 826
प्रताडऩा व 1054 दहेज के दर्ज मामले इस बात की पुष्टि करते हैं कि पंजाब की
बदहाल कानून व्यवस्था के चलते महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। अलग बात है कि
महिला अपराधों को लेकर पुलिस ने हेल्प लाइन शुरू की। 24 घंटे महिलाओं की
हेल्प के लिए कंट्रोल रूम बनाया। इसके बाद भी महिलाएं लगातार अपराधियों का
शिकार हो रही हैं।1982 बैच के आइपीएस अफसर सुरेश अरोड़ा को 25 अक्टूबर को
बीते साल सूबे की कमान सौंपी गई। इसके बाद उन्होंने पुलिस को विधायकों व
नेताओं के शिकंजे से बाहर लाने के तमाम प्रयास किए, लेकिन राजनीतिक दबाव
में उनके प्रयास बौने साबित हो रहे हैं।
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