चंडीगढ़। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सतलुज-यमुना जोड़ नहर (एसवाईएल) के मामले को ले कर पंजाब-हरियाणा की राजनीतिक पार्टियां अब राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का दरवाजा खटखटाएंगी। पंजाब के हितों के मद्देनजर कांग्रेस और अकाली-भाजपा गठबंधन का राष्ट्रपति से आग्रह रहेगा कि नहर निर्माण पर आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले को वे नजरअंदाज करें, जबकि हरियाणा के हितों को देखते हुए कांग्रेस, इनेलो व भाजपा की गुजारिश होगी कि बिना देर किए नहर का निर्माण पूरा करवाया जाए।
इस बीच मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में एसवाईएल के निर्माण के लिए अधिगृहीत की गई जमीन किसानों को वापस लौटाने का फैसला किया गया। इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर दी गई है। इसका अर्थ यही है कि जमीन पर किसानों के कब्जा लेने के बाद नहर का निर्माण करवाना हरियाणा के लिए और मुश्किल हो जाएगा। बादल कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट की राय नहीं माने जाने के लिए राष्ट्रपति से भी आग्रह किया जाएगा। मुलाकात के लिए बादल की तरफ से पहले ही राष्ट्रपति को पत्र लिखा जा चुका है।
इसी मुद्दे पर पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है । सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद हरियाणा को पानी देने से इनकार करने पर बादल के खिलाफ एक अवमानना याचिका भी अदालत में दायर की जा चुकी है। उधर, पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह गुरुवार को शाम 6.30 बजे दिल्ली में एक शिष्टमंडल के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे और उन्हें एक ज्ञापन भी सौंपेंगे।
ज्ञापन में आग्रह किया जाएगा कि एसवाईएल मामले में वे सुप्रीम कोर्ट की राय को नजरअंदाज कर दें। गौरतलब है कि कांग्रेस विधायकों के साथ कैप्टन एसवाईएल निर्माण के विरोध में अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से इस्तीफा दे चुके हैं।
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