नई दिल्ली। इस साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधिकारिक रूप से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले एक लाख परिवारों को सुरक्षा तंत्र देने का वादा किया था। यह कार्यक्रम हालांकि उन लोगों के लिए खास कुछ नहीं कर सकता, जिनकी पहुंच योग्य चिकित्साकर्मियों तक नहीं है। हमारे जिला स्तरीय घरेलू सर्वेक्षण (डीएलएचएस-4) के आंकड़ों के विश्लेषण के मुताबिक, देश के 62 फीसदी सरकारी अस्पतालों में प्रसूति रोग विशेषज्ञ नहीं हैं और अनुमान है कि करीब 22 फीसदी उपकेंद्रों में सहायक नर्स दाइयों (एएनएम) की भी कमी है। शिशु और मातृ मृत्युदर को रोकने में स्त्रीरोग विशेषज्ञ और नर्स दाइयों की बड़ी भूमिका है, लेकिन इनकी संख्या जरूरत से काफी कम हैं।
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