मनारोगों को चिकित्सक की निगरानी में दवाईयां लेकर ठीक किया जा सकता है। भूतप्रेत, बुरी आत्माओं का प्रवेश, पूर्व जन्म के पाप, ग्रह नक्षत्रों की हेरफेर आदि चलते झाड़फूक आदि चक्कर में पड़कर मनोरोग के ईलाज की बजाय जंजीरों से बांधकर अंधेरे कमरो में पटक दिया जाता है। राठौड़ ने कहा कि सर्वेक्षणों के अनुसार 30 से 40 प्रतिशत जीवन के किसी ने किसी चरण में मन की रूग्णता के शिकार जरूर बनते हैं। इस मौके पर एसएमएस मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. यू.एस. अग्रवाल ने बताया कि कालेज की स्थापना के 7वें दशक के अवसर पर वर्ष पर्यन्त विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। समारोह में अधीक्षक डा. मानप्रकाश शर्मा, अतिरिक्त प्राचार्य डा. आई.डी. गुप्ता, एसएमएस अस्पताल के मनोरोग विभागाध्यक्ष डा. संजय जैन, मनोरोग चिकित्सालय अध्यक्ष डा. प्रदीप शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किये। आयोजन अध्यक्ष डा. आर. के. सोलंकी ने अतिथियों का स्वागत किया।
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