बीकानेर। वतन के रखवाले अपनी जान पर खेल कर देश की सुरक्षा करें
और सरकार उन्हीं वीर जवानों की, रणबांकुरों की अनदेखी करे तो क्या संदेश
जाएगा युवा पीढ़ी में? क्या सर्वोच्च बलिदान के बदले संघर्ष? कुछ स्मारक
ऐसे होते हैं जिनको देखकर देश की युवा पीढ़ी जवान होती है, प्रेरणा प्राप्त
करती है, कर्त्तव्यबोध को जाग्रत करती है देश सेवा का, जरूरत पड़ने पर देश
पर जान न्यौछावर करने का। लेकिन गांधी पार्क में आयोजित पूर्व सैनिक कल्याण
सहकारी समिति के गौरव सैनानियों द्वारा आयोजित बैठक में जो बातें निकल कर
सामने आई हैं, उससे तो स्थानीय प्रशासन, विगत एवं वर्तमान राज्य सरकारों,
नेताओं का गौरव सैनानियों के प्रति उपेक्षा और उदासीनता का भाव ही सामने आया
है।
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गौरव सैनानियों द्वारा शुक्रवार को आयोजित सभा में इनके सब्र का बांध टूटता नजर आया। 20 वर्षों
पुरानी बीकानेर में शहीद स्मारक देखने की तमन्ना,इनके दिलों के कसमसाहट और
छटपटाहट या बेबसी के अलावा और कुछ नहीं दिखा।
सभा में पूर्व सैनिक कल्याण
सहकारी समिति के अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को गौरव सैनानियों की जायज मांगों
को अनदेखा नहीं करना चाहिए, बीकानेर सम्भाग मुख्यालय में शहीद स्मारक
निर्माण को प्राथमिकता देनी चाहिए।
कैप्टन शीशराम पूनिया ने कहा कि जब
नागौर, चूरू, झुंझुनूं जिलों में दो-दो शहीद स्मारक बन चुके हैं तो बीकानेर
उपेक्षित क्यों? सूबेदार मेजर भवानी सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक
में सभी गहन विचार-विमर्श के बाद सरकार से दस सवालों पर जबाव मांगा है।
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