उन्होंने कहा,यह सच है,जैसा कि 69 वर्ष पहले आज ही के दिन पंडित नेहरू ने
एक प्रसिद्ध भाषण में कहा था कि एक राष्ट्र के इतिहास में ऎसे क्षण आते
हैं, जब हम पुराने से नए की ओर कदम बढ़ाते हैं, जब एक राष्ट्र की आत्मा को
अभिव्यक्ति प्राप्त होती है। परंतु यह अनुभव करना आवश्यक है कि ऎसे क्षण
अनायास ही भाग्य की वजह से न आएं। एक राष्ट्र ऎसे क्षण पैदा कर सकता है और
पैदा करने के प्रयास करने चाहिए।
उन्होंने कहा, हमें अपने सपनों के भारत का निर्माण करने के लिए भाग्य को
अपनी मुटी में करना होगा। सशक्त राजनीतिक इच्छाशक्ति के द्वारा, हमें एक
ऎसे भविष्य का निर्माण करना होगा, जो साठ करोड युवाओं को आर्थिक रूप से
सशक्त बनाए, एक डिजिटल भारत, एक स्टार्ट-अप भारत और एक कुशल भारत का
निर्माण करे।
राष्ट्रपति ने कहा,हम सैकडों स्मार्ट शहरों, नगरों और गांवों वाले भारत का
निर्माण कर रहे हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे ऎसे मानवीय,
हाईटेक और खुशहाल स्थान बनें जो प्रौद्योगिकी प्रेरित हों, परंतु साथ ही
सह्वदय समाज के रूप में भी निर्मित हों। हमें अपनी विचारशीलता के वैज्ञानिक
तरीके से मेल न खाने वाले सिद्धांतों पर प्रश्न करके एक वैज्ञानिक
प्रवृत्ति को प्रोत्साहन देना चाहिए और उसे मजबूत करना चाहिए। हमें
यथास्थिति को चुनौती देना और अक्षमता और अव्यवस्थित कार्य को अस्वीकार करना
सीखना होगा।
(आईएएनएस)
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