जयपुर। भारतीय जनता पार्टी ने विधायकों को पहले पार्टी का जिलाध्यक्ष बना दिया, अब उन्हें निष्क्रिय बताकर पद से हटाने की तैयारी है। अब सवाल यह उठता है कि क्या संगठन के बड़े पदाधिकारियों को यह पहले पता नहीं था कि विधायक को जिलाध्यक्ष बनान से वे निष्क्रिय हो जाऐंगे। फिर उन्हें संगठन की बागडोर सौंपी ही क्यों गई। पिछले वर्ष भाजपा संगठन के चुनावों के समय पार्टी ने छह जगहों पर विधायकों को ही जिलाध्यक्ष की कमान सौंप दी थी। सीकर में पहले से ही विधायक को ही जिलाध्यक्ष बना रखा था। संगठन चुनावों को साल भर निकल जाने के बाद अब यह महसूस किया जा रहा है कि यह विधायक संगठन का काम नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा दो-तीन अन्य निष्क्रिय जिलाध्यक्षों को भी बदला जा सकता है। अजमेर शहर के जिलाध्यक्ष की घोषणा भी सभी जिलाध्यक्षों के साथ की जा सकती है। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों धौलपुर में भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री वी. सतीश, मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी के बीच जिलाध्यक्षों के कामकाज को लेकर चर्चा हुई थी। उस समय यह निकल कर आया कि विधायकों को जिलाध्यक्ष के पद से हटाकर उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र में फोकस करने दिया जाए, जिससे वे चुनावों की तैयारी में जुट सकें। इस पर सहमति बन गई और विधायकों को जिलाध्यक्ष के पद से हटाने का निर्णय किया गया।
इनको हटाया जा सकता है
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