सबसे तगड़ा गणित
हंडिया में अपने नाम का डंका बजाने वाले राकेशधर को यूं ही चुनाव में नहीं उतारा गया। उनकी लोकप्रियता व सियासी समीकरण के साथ जनाधार ने भाजपा को मजबूर किया। लेकिन दागी को टिकट देने में घेराबंदी के डर से सीट अपना दल को दी गई और बड़े राजनैतिक दबाव में राकेशधर को टिकट मिला।
एक कहानी यह भी
राकेशधर के बड़े बेटे प्रभात काफी समय से राजनीति में आना चाह रहे थे। यहां तक की 2013 में तत्कालीन विधायक महेश की मृत्यु के बाद उन्होने प्रत्याशी बनने की इच्छा जाहिर की थी।लेकिन राकेशधर नहीं माने।
मुख्तार अंसारी की मौत : पूर्वांचल के चार जिलों में अलर्ट, बांदा में भी बढ़ी सुरक्षा, जेल में अचानक बिगड़ी थी तबीयत
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक कश्मीर में नजरबंद
शराब घोटाला मामला: एक अप्रैल तक ईडी की हिरासत में केजरीवाल
Daily Horoscope