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यूपी चुनाव: विरोधियों की घेराबंदी में फंसे वजीर, पढें खास रिपोर्ट

अभिषेक मिश्रा, लखनऊ। ये हैं यूपी के सियासत के वजीर। जिनकी अपने इलाकों में ऐसी तूती बोलती है कि कोई सरेआम गुंडई भी करे और इन वजीरों की कृपा हो तो पुलिस और प्रशासन सामने भी नहीं आता है। किसी की भैंस खो जाती है तो पूरा पुलिस महकमा भैंसों को खोजने के लिए निकल जाता है। लेकिन अब ये वजीर अपने ही इलाके में फंस गए हैं। क्योंकि विरोधी जो पिछले पांच साल से इंतजार कर रहे थे वह इन्हें चुनौती दे रहे हैं।

सबसे पहले बात करते हैं समाजवादी पार्टी के मुस्लिम चेहरे आजम खां की जो अपने विवादित बयानों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। सूबाई हुकूमत में नगर विकास महकमा उनके पास है। उनकी अकड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सचिवालय संवर्ग के अधिकारियों ने उनके साथ काम करने से साफ इनकार कर दिया था। रामपुर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है।

मतदाताओं के मिजाज को भांपने में माहिर आजम खां ने एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को रावण की संज्ञा देकर माहौल में अचानक गर्मी पैदा कर दी है। आठ बार विधायक रहे आजम खां का जिले में अपना फरमान चलता है। पिछली चुनाव में उन्होंने अपने प्रतिद्वन्द्वी को 62 हजार से ज्यादा मतों से हराया था। साइकिल चुनाव निशान से वह एक बार फिर मैदान में हैं और उन्हें भाजपा के फायर ब्रांड नेता शिव बहादुर सक्सेना से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है।

प्रदेश सरकार के एक और कद्दावर मंत्री रामगोविन्द चौधरी ने यूं तो युवा तुर्क नेता चन्द्रशेखर के सानिध्य में राजनीति की शुरुआत की थी और बाद में मुलायम सिंह यादव के खास कोठरी में शामिल हो गये, लेकिन जब समाजवादी परिवार में अन्तर्कलह उभरी तो सपा संस्थापक से किनारा कर मुख्यमंत्री के साथ आ गये। बलिया की बांसडीह सीट पर उन्हें बसपा के शिवशंकर चौहान से कड़ी टक्कर मिल रही है। प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री राजीव कुमार सिंह बाराबंकी की दरियाबाद सीट से सपा के उम्मीदवार की हैसियत से मैदान में हैं, लेकिन इस बार वह भाजपा के सतीश शर्मा और बसपा के मोहम्मद मुवस्सिर के साथ त्रिकोणात्मक जंग लड़ रहे हैं। इसी जिले की कुर्सी सीट से प्रदेश के नियोजन मंत्री महफूज अहमद किदवई मैदान में हैं। बाराबंकी के राजनीतिक किदवई घराने से ताल्लुक रखने वाले महफूज अहमद अत्यंत सरल स्वाभाव के हैं, लेकिन इस बार चुनाव में बसपा के वीपी सिंह ने मुसीबत बढ़ा रखी है। अब चुनाव नतीजे बताएंगें कि पिछली बार जीत दर्ज कराकर उन्होंने जो अपनी साख बनायी थी वह महफूज रख पाएंगी या नहीं।


किठौड़ विधानसभा सीट से साइकिल निशान पर चुनाव लड़ रह प्रदेश सरकार के श्रम मंत्री शाहिद मंजूर को इस बार भाजपा के सत्यवीर त्यागी से कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। कुशीनगर सदर से ब्रह्मशंकर त्रिपाठी चुनाव मैदान में हैं। क्षेत्र की बुनियादी समस्याओं का जस का तस बने रहना क्षेत्र में जनाक्रोश का बड़ा कारण बना हुआ है और ऊपर से बसपा के राजेश प्रताप राव और भाजपा के रजनीकांत मणि के साथ त्रिकोणात्मक जंग ने श्री त्रिपाठी को फंसा कर रखा है। हाटा विधानसभा क्षेत्र से दोबारा भाग्य आजमा रहे प्रदेश के शिक्षा राज्य मंत्री राधेश्याम सिंह इस नाजुक मौके पर एक क्षेत्रीय पत्रकार को जिंदा फूंक देने की धमकी का वीडियो वायरल होने से स्थानीय लोगों का आक्रोश झेल रहे हैं। इस आक्रोश से बेपरवाह श्री सिंह अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। सीतापुर की मिश्रिख सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ रहे राज्यमंत्री रामपाल को मुख्यमंत्री के विकास के नारे से ज्यादा जातीय समीकरण पर भरोसा है।

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Web Title-politicians trapped in the siege of opponents
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