अब जरा सिद्धू वाणी का नमूना देखिये। सिदू साहब कहते हैं- लोमड़ी कितनी भी
चालाक क्यों न हो ,जंगल का राजा शेर ही होता है। इसके बाद वह कर्ज में
डूबे पंजाब के बारे में बताने के बाद कहते हैं की कर्ज उतारने के लिए बादल
और कर्ज ले रहें हैं। चालाकियों से नही जुर्रत से राजनीती होती है।
लोमड़ी कितनी भी चालाक क्यों न हो जंगल का राजा शेर ही होता है। [@ Punjab election 2017- क्या इस बार भी बागी बनेंगे कांग्रेस की हार का कारण...]
सिदू
उभाच का एक और नमूना देखिये -बादल ने पंजाब को खाया है। संत बने रहे, वह छह
फुट ऊंचे और 120 फुट नीचे हैंडपम्प जैसे हैं। जरा इस पर भी गौर
फरमाइए (हुन कडागे बट ,करांगे जलेबी बांग कठ्ठा ) अब इसके बॅट
निकालेंगे,उस जलेबी की तरह गोल कर देंगे। सिदू साहब भाजपा को माता तो
मानते हैं परन्तु कैकेई सरीखी।
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