जयपुर। पुराना फिल्मी जुमला है कि किसी भी घटना के बाद पुलिस मौके पर सबसे आखिर में पहुंचती है। इसका मतलब है कि पुलिस का रेस्पॉन्स टाइम बहुत स्लो है। अब गृह विभाग एवं पुलिस रेस्पॉन्स टाइम सुधारने की तैयारी में है। शहरी क्षेत्र में औसतन 7 से 8 मिनट और ग्रामीण में औसतन 18 से 20 मिनट में पुलिस घटनास्थल पर पहुंचे, इसके लिए थानों एवं चौकियों को अधिक से अधिक ऐसे वाहन उपलब्ध कराए जाएंगे जो भौगोलिक स्थितियों के अनुकूल हों। थाने-चौकियों को संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। पुलिस के पास अभी ढाई हजार बाइक हैं और 850 नई बाइक खरीदने की मंजूरी दी गई है। गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया का मानना है कि रेस्पोंस टाइम सुधारने के लिए जरूरी है कि पुलिस के पास सभी संसाधन हों। कई बार होता है सूचना आने पर थाने-चौकी में वाहन उपलब्ध नहीं होता, या वाहन पुलिस कर्मी किसी अन्य काम जैसे कोर्ट, गश्त गया है या कभी ड्राइवर तत्काल नहीं मिलता। इसलिए, सरकार ने तय किया है कि थाने-चौकियों में मोटरसाइकिल पर्याप्त संख्या में दी जाएं। दूसरी ओर, पुलिस का कहना है कि जयपुर शहर में रेस्पॉन्स टाइम औसतन 10 से 11 मिनट का है, लेकिन जयपुर कमिश्नरेट से ही जुड़े ग्रामीण इलाकों में यह टाइम 17 मिनट से अधिक है। वहीं, ग्रामीण इलाकों में औसतन रेस्पॉन्स टाइम 27 से 30 मिनट तक का है। फिलहाल पुलिस महकमे में 7500 कुल वाहन हैं। इनमें 2699 कार-जीप, 3936 बाइक शामिल हैं। अब 12 करोड़ रुपए के वाहन खरीदे जाएंगे। इनमें 54 जीप, 12 कार व 859 बाइक शामिल होंगी। पुलिस का कहना है कि अच्छा काम करने वाले थानों, सर्किल एवं जिलों को प्रोत्साहन मिलेगा। प्रत्येक माह पुलिस के इस ग्रेडिंग सिस्टम को हैदराबाद में डीजीपी कॉन्फ्रेंस में भी सराहना मिली। इसे देशभर में लागू किया जाना प्रस्तावित है।
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