बुधवार को रेल बजट व आम बजट का मिश्रण करते हुए पेश केंद्रीय
बजट 2017-18 के जरिए नरेंद्र मोदी सरकार ने उद्योग जगत के साथ ही आमजन को
कई राहतें,रियायतें देते हुए अपनी कथित दक्षिणपंथी छवि को बदलने की भरपूर
कोशिश की है। आशाएं ज्यादा थीं, लेकिन उतना नहीं हुआ। हां, यह बजट डिजिटल
इकनोमी की पीएम मोदी की मंशा के लिए बेहतर है।
नोटबंदी के कष्टकारी असर को लेकर जेटली कुछ असहज दिखे लेकिन देशवासियों को ईमानदारी से टैक्स अदा करने की नसीहत देना नहीं भूले। [@ UP ELECTION: मैनचेस्टर के मतदाताओं को नहीं लुभा पाए निर्दलीय]
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बजट में मध्यवर्ग का पूरा ध्यान रखते हुए 5 लाख
रूपए तक की आय पर टैक्स दर 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी है। साथ ही कम
आय वालों को रिटर्न के लिए केवल एक ही फॉर्म भरना होगा। पहले बहुत ही कठिन
प्रक्रिया थी। इससे अब उम्मीद है कि रिटर्न भरने वालों की संख्या में
इजाफा होगा व सरकार की टैक्स-नेट बढाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य पूरा होगा।
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