मुख्यमंत्री
जल स्वावलम्बन अभियान में जीयो टेगिंग, मोबाइल एप्लीकेशन तथा आधुनिक
वैज्ञानिक तकनीक अपनाकर राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहॉ जल
संरक्षण कार्यों में यह तकनीक सफलतापूर्वक इस्तेमाल की जा रही है।
दूसरा चरण आरम्भ
मुख्यमंत्री
जल स्वावलम्बन अभियान का दूसरा चरण 9 दिसम्बर, 2016 से आरम्भ हो चुका है।
देश के सभी खण्ड उपखण्डों में 4200 जल संरक्षण कार्याें का चयन कर जल
संरक्षण कार्य आरंभ कर दिये गये है। इस सभी कार्यों का सर्वे वैज्ञानिक
पद्धति से “वे-पाईन्ट“ सॉफ्टवेयर द्वारा सर्वेक्षण करवाया गया है।
किसानों को लाभ
अभियान
का परिणाम यह रहा है कि प्रथम चरण के सभी 3529 गांवों में जल का संग्रह
होने से कृषक खरीफ की दो-दो और कुछ स्थानों पर तीन फसल भी ले रहे है तथा
संग्रहित जल का उपयोग सिंचाई के कार्यों में किया जा रहा है।
पौधारोपण
अभियान
के प्रथम चरण में जहां साढे छत्तीस लाख पौधे लगाये गये वहीं दूसरे चरण में
एक करोड पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह पौधे सभी 1.35 जल
संरक्षण कार्याें पर लगाये जायेंगे तथा इन सभी पौधों का भी जीओ टेगिंग
किया जायेगा। इन सभी पौधों की 5 साल तक देख रेख की जिम्मेदारी वन विभाग को
सौंपी गयी है।
वर्षा जल का संग्रहण
अभियान के प्रथम चरण मं निर्मित 96000 जल संग्रहण कार्यों में लगभग 11170 मिलियन क्यूबिक फिट वर्षा जल का संग्रहण हुआ।
शहरों में भी कार्य शुरू
मुख्यमंत्री
जल स्वावलम्बन अभियान में 3529 गांवों में जल संरक्षण कार्यों की सफलता को
देखते हुए इस वर्ष प्रदेश के चयनित 66 शहरों में भी मुख्यमंत्री जल
स्वावलम्बन अभियान आरम्भ कर दिया गया है जहां पुरानी ऐतिहासिक बावडियों का
जीर्णोद्धार किया जा रहा है तथा सभी राजकीय भवनों पर वर्षा जल
हार्वेस्टिंग, एवं शहरी वानिकीकरण कार्य किया जावेगा।
तीसरा चरण
मुख्यमंत्री
जल स्वावलम्बन अभियान के तीसरे चरण की तैयारियॉ भी आरम्भ की जा चुकी है
जिसमें चयनित स्थानों का वैज्ञानिक सर्वेक्षण ड्रोन के माध्यम से करवाया जा
रहा है।
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