दुनिया न्यूज के वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ कामरान खान का कहना है,
‘इमरान खान की पार्टी के धरने के दौरान बाजवा ने उनके खिलाफ कोई कदम उठाने
के बजाए इलाके में बड़ी संख्या में सैनिक भेजे ताकि रेड जोन सुरक्षित रहे।
यह साफ संकेत था कि लोकतंत्र के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई से परहेज
किया जाएगा। तभी जब प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के पास चार नाम आए तो उन्होंने
बाजवा के नाम पर मुहर लगा दी।’
एक अन्य रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सज्जाद
गनी ने द न्यूज को बताया, ‘नवाज शरीफ को बाजवा लोकतांत्रिक सरकार के साथ
तालमेल बिठाने के लिहाज से सबसे बेहतर विकल्प लगे। बाजवा की छवि लोकतंत्र
में विश्वास रखने वाली है।’
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