वाराणसी। प्राचीन और दुर्लभ ग्रन्थों को संरक्षित
रखने की नई पहल डॉ सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय ने की है। विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार करीब हजार साल पुरानी हस्तलिखित
श्रीमद् भागवत् गीता एवं अन्य दुर्लभ पाण्डुलिपियों को चरणबद्ध तरीके से ऑनलाइन
करने की महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य शुरू हो गया है।
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परिणाम सकारात्मक मिलने पर सभी पाण्डुलिपियों को
ऑनलाइन किया जाएगा, पर बगैर अनुमति इसके डाउनलोड करने का अधिकार किसी के पास नहीं
होगा। प्राच्यविद्या के सरस्वती भवन पुस्तकालय में इण्टरनेट की विशेष व्यवस्था
पाण्डुलिपियों को ऑनलाइन करने के लिए की जाएगी।
विश्वविद्यालय के सरस्वती भवन पुस्तकालय में देश
की प्राचीनतम पाण्डुलिपियों में से एक हजार वर्ष पुरानी हस्तलिखित श्रीमद् भागवत्
गीता संरक्षित है तथा स्वर्णाक्षरों वाली पाण्डुलिपि कमवाचा (वर्मी लिपि) एवं रास
पंचध्यायी चित्रयुक्त यहां सुरक्षित रखी हैं। यहां वेद, वेदांत, कर्मकांड, धर्मशास्त्र
आदि सुरक्षित और संरक्षित हैं।
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