झांसी। आचार संहिता में अधिकारियों और कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले हैं। मनमानी और आफिस के प्रति उदासीनता उनके अब रोजमर्रा में शामिल हो गया है। कार्यालय का समय 10 बजे है पर पहुंचते हैं 11 बजे के बाद, वहीं, साहब की लेटलतीफी से कर्मचारी भी मनमाने ढंग से कार्य करते हैं। वैसे भी सरकारी नौकरी आगामतलबी का दूसरा नाम है। जनता परेशान होती रहे इससे उनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता। ऐसा नजारा नगर निगम में आये दिन देखने को मिल जाता है। [ श्याम मसाले ने कराई घर घर में मौजूदगी दर्ज] [ चमत्कार! मंदिर में सांप, पुजारी और बदमाश...] [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
चुनाव बाद सरकारी विभागों में अधिकारी कर्मचारी अनमने ढंग से दफ्तर आते हैं। नगर निगम में ही देखे तो अधिकारी कर्मचारी ग्यारह-बारह बजे तक आराम से कार्यालय पहुंचते हैं। जनता अपनी समस्या को लेकर 10 बजे से भटकती रहती है। कर्मचारियों की सेहत पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है। विभागों में अधिकतर कुर्सियां खाली पड़ी रहती है। संबंधित के विषय में कोई सही जानकारी भी नहीं मिल पाती है। जहे वह नगर निगम का स्वास्थ्य विभाग हो या फिर गृहकर विभाग सभी जगह एक सा माहौल ही दिखाई पड़ता है। स्वस्थाय विभाग के जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने वाले भिाग का हाल और बुरा है। उसमें लिपिक आराम से 11 बजे के बाद आते हैं।
जबकि सबसे अधिक भीड़ इसी विभाग में होती है। उसी में किसी को प्रमाण पत्र बनवाना है तो विभिन्न प्रकार के नियम कानून के हतकंड़े बता दिये जाते हैं जिससे लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। एक तरफ लेटलतीफी दूसरी तरफ कागजात भी विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए लगने वाला घोषणा पत्र भी कार्यालय में नहीं हैं। जो लोग बाहर से या तहसील से खरीद कर फार्म में लगाना पड़ता है। यहां पर अधिकारियों की उदासीनता से लापरवाह कर्मचारी बने हुए हैं।
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