इस वन में रहने वाले लोग वनवासी की श्रेणी में नहीं आते। सरकार द्वारा इन्हे यहां से हटाये जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में अनुसूचित जाति के इन्ही वन में रह रहे लोगों द्वारा एक याचिका दाखिल की गई। जिसमें अनुसूचित जाती के लोगों को वन में निवास करने वाले आदिवासी वनवासी की तरह ही रहने व उनकी तरह आधिकारिक दर्जा देने की मांग की गई है।
हालांकि कानूनन एसटी जाति को यह अधिकार मिलता है। न्यायालय में सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि याचीगण पांच दशक से वन में रह रहे हैं किन्तु उन्हें आधिकारिक तौर पर निवास की अनुमति नहीं दी जा रही है। सरकारी युनिट ने उन्हें वन खाली करने को कहा है।
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