इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनजाति या वनवासियों को लेकर एक बड़ा फैसला दिया। न्यायालय ने कहा कि वन में आधिकारिक तौर पर किसी सामान्य नागरिक को रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती और न ही कुछ साल वनवासी होने पर ही किसी को वन में आवासीय व्यवस्था करने का आदेश जिया जा सकता है।
वन में तीन पुश्तों से रह रहे जनजाति या वनवासियों को ही वन में निवास करने की अनुमति दी जा सकती है। गौरतलब है कि हस्तिनापुर वन्य जीव अभ्यारण को 1968 में वन क्षेत्र घोषित किया गया। [@ 90 की उम्र फिर भी आंख से तिनका निकाल लेते भगत राम]
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