डॉ. आहूजा ने बताया कि
गर्भवती महिला का अल्ट्रासाउंड करने से पूर्व फार्म एफ भरना अनिवार्य है,
जिसमें मरीज की निजी जानकारी व अल्ट्रासाउंड से संबंधित 26 सवाल हैं। इस
फार्म में यदि किसी तरह की त्रुटि रह जाती है तो इसे कानूनी अपराध (कन्या
भ्रूण हत्या करने जैसे) मान लिया जाता है। जबकि फोन नंबर, बच्चों की
संख्या, पता आदि जानकारी मरीज कई बार खुद ही गलत लिखवा देते हैं। ऐसे कई
मामले हैं, जिसमें लिपिकीय त्रुटियों, डॉक्टर के एप्रिन न पहनने, मरीज का
फोन नंबंर गलत होने, एक्ट बुकलेट न होने की स्थिति में डॉक्टर का
रजिस्ट्रेशन निरस्त कर मशीन को सील कर दिया जाता है। डॉक्टर को अदालत में
आपराधिक कार्यवाही का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि इन
मामूली त्रुटियों के कारण 10 से 50 लाख तक की मशीन तीन वर्ष के लिए सील कर
दी जाती है, जबकि ऐसे ज्यादातर मामलों के नतीजे डॉक्टरों के पक्ष में हुए
हैं। डॉक्टरों को गर्भवती महिला का अल्ट्रासाउंड करने पर प्रशासन को ऑनलाइन
जानकारी उपलब्ध करानी होती है। साथ ही हार्ड कॉपी के रूप में फार्म-एफ के
तहत 26 सवाल भरने के अलावा एक अलग से रजिस्टर भी मैंटेन करना होता है। डॉक्टर डॉक्टरी करें या इन कानूनी उलझनों में उलझे रहें।
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