हनुमानगढ़। नहरों में प्रदूषित पानी प्रवाहित करने मामले की सुनवाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) दिल्ली में हुई। इसमें दिल्ली पर्यावरण मंत्रालय, पंजाब व राजस्थान प्रदूषण मंडल के अधिकारी पेश हुए। पंजाब की ओर से पेश जवाब पर ट्रिब्यूनल ने कहा कि आंकड़ों से काम नहीं चलेगा, यदि पंजाब ने वाकई में प्रदूषण दूर करने के लिए प्रयास किए हैं तो वह कौन-कौन से प्रयास हैं तथा इन प्रयासों से नहरों में प्रदूषण कितना कम हुआ, इससे संबंधित शपथ पत्र पेश करना होगा। साथ ही राजस्थान को भी शपथ पत्र पेश करने के लिए पाबंद किया कि पहले प्रदूषण का स्तर कितना था तथा पंजाब की ओर से प्रयास करने पर प्रदूषण का स्तर कितना कम हुआ। इस मामले की अगली सुनवाई आठ फरवरी को होगी। इससे पहले सुनवाई में पंजाब ने प्रदूषण रोकने को लेकर लगाए गए ट्रीटमेंट प्लांट और अन्य प्रयासों का जिक्र कर ट्रिब्यूनल में अपना पक्ष रखा। लेकिन बैंच में शामिल सदस्य इससे सहमत नहीं हुए। सुनवाई के दौरान जयपुर, चंडीगढ़ और दिल्ली के कई अधिकारी मौजूद थे। याचिका कर्ताओं के वकील डॉ. शिव शर्मा ने राजस्थान की नहरों में प्रवाहित प्रदूषित पानी से संबंधित समस्या ट्रिब्यूनल के समक्ष रखी। उन्होंने बताया क पंजाब ने प्रदूषण मामले में कई एक्शन प्लान बनाए लेकिन, पालना के मामले में वह गंभीर नहीं। लेकिन अब ट्रिब्यूनल ने प्रदूषण फैलाने वालों को चेताकर अंतिम मौका दिया है। [@ साल 2016 में गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च हुए टाॅप 10 टाॅपिक्स]
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