बीकानेर। शहर की बिजली व्यवस्था अगले महीने से निजी हाथों में जाने के साथ ही जोधपुर डिस्कॉम के शहर में करीब 700 अधिकारी व कर्मचारियों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। वहीं छोटे कर्मियों को छंटनी का भय सता रहा है। सूत्रों के अनुसार कोलकाता इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी के यहां कमान संभालने के बाद शहरी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों को ग्रामीण क्षेत्रों में लगाया जाएगा। यह कंपनी दो महीने तक जोधपुर डिस्कॉम कर्मचारियों के साथ मिलकर काम करेगी। इसके बाद कंपनी स्वयं काम संभालेगी। जोधपुर डिस्कॉम ने बिजली व्यवस्था को कोटा व भरतपुर में भी निजी हाथों में दे रखा है, जिसका परिणाम बेहतर रहा है। इसके बाद ही राज्य में तीसरे जिले के रूप में बीकानेर को चुना गया है। डिस्कॉम का मानना है कि ऐसा होने से बिजली छीजत पर रोक लगेगी और डिस्कॉम बेवजह के घाटे से उबर सकेगा। जोधपुर डिस्काम के एक्सईएन पी.एस. चौधरी ने बताया कि इस व्यवस्था से उपभोक्ताओं को बेहतर सर्विस मिलेगी। कंपनी तकनीकी, एलडीसी व यूडीसी का एक तिहाई स्टाफ डेपूटेशन पर रखेगी। जरूरत के हिसाब से अधिकारियों व कर्मचारियों को इधर-उधर किया जाएगा। निजी हाथों में बिजली सप्लाई जाने से सरकारी तौर पर डिस्कॉम को कोई नुकसान नहीं है। सूत्रों के अनुसार डिस्कॉम कंपनी को जितनी यूनिट बिजली देगी उतने पैसे वसूल कर लेगी लेकिन, इस व्यवस्था से सीधे तौर पर कर्मचारियों को नुकसान होगा। खासतौर से हैल्पर, तकनीकी कर्मचारी जिनका स्थानांतरण किया जाएगा। डिस्कॉम में भर्तियों पर रोक लग जाएगी। प्रमोशन रुक जाएंगे वहीं कर्मचारियों की छंटनी की नौबत भी आ जाएगी। [@ यहां मुस्लिम है देवी मां का पुजारी, मां की अप्रसन्नता पर पानी हो जाता है लाल]
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