जयपुर । किसी भी विकासशील अर्थव्यवस्था में देश और प्रदेश के युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने का अलग महत्व होता है। आजादी के बाद सत्तर वर्षों में उत्पादन के आंकड़े भले ही उछाल पर रहे हों लेकिन बेरोजगारी की समस्या का निदान हमेशा चिंता और चिंतन का विषय रहा है। वर्तमान में केन्द्र एवं राज्य सरकार ने इस विषय की गंभीरता को अनुभव ही नहीं किया बल्कि एक के बाद एक नवाचार कर नीतियों को रोजगार परक बनाया । इसी का परिणाम है कि वर्तमान राज्य सरकार ने श्रीमती वसुन्धरा राजे की अगुवाई में इस क्षेत्र को प्राथमिकता वाला क्षेत्र मानकर जो सफलता पाई है लेकिन निःसन्देह राजस्थान के भविष्य के नवनिर्माण की नई इबारत लिखने में कामयाब रहेगी। विभिन्न प्रशिक्षण योजनाओं के जरिए पिछले तीन वर्षों में दस लाख लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किये। सरकारी क्षेत्र में एक लाख से अधिक को नियमित नियुक्तियां देने के साथ ही गैर सरकारी क्षेत्र में लगभग 9 लाख युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये। राज्य की विभिन्न प्रशिक्षण योजनाओं के जरिये 4 लाख 50 हजार युवाओं को अलग-अलग क्षेत्रों एवं व्यवसाय का प्रशिक्षण दिया गया। राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम ने इस अवधि में एक लाख 68 हजार युवाओं को तथा राजकीय एवं गैर सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों से दो लाख 97 हजार युवाओं को प्रशिक्षित किया गया।
राजस्थान देश का पहला राज्य है जहां सितम्बर, 2004 में राजस्थान आजीविका मिशन का गठन किया गया। वर्तमान सरकार ने इसे और व्यापक रूप देते हुए 2014 में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाले एक सक्षम एवं सशक्त एकक के रूप में सामने रखा। पुनर्गठित रूप से यह राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम बन गया और गतिविधियों की व्यापकता के साथ एक नये रूप में सामने आया। प्रशिक्षण, आजीविका नव प्रवर्तन, देश के अन्दर एवं बाहर विभिन्न संस्थानों, सरकारी विभागों, निगमों एवं बोडर््स के बीच आपसी सम्पर्क एवं समन्वय और विद्यमान नियमों के अधीन रोजगार सृजन की दृष्टि से एक सशक्त एजेन्सी के रूप में निगम की पहचान हुई।
कौशल एवं आजीविका को बढ़ावा देने के लिए रणनीति बनाना, आजीविका का मजबूत वातावरण, आजीविका एवं कौशल अभिवृद्धि के लिए शोध एवं अध्ययन, परफोरमेंस मानकों को विकसित करना, समयबद्ध लक्ष्य प्राप्ति के प्रयास करना, आर्थिक रूप से कमजोर एवं समाज के मध्यम वर्ग के लिए सरकारी नीतियों के अनुरूप आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराना तथा अब तक अनन्वेषित एवं अर्थ-अनन्वेषित क्षेत्रों में रोजगार के नये मार्ग सृजित करने के उद्देश्य से स्थापित इस एजेन्सी को परिणाम मूलक बनाया गया। राजस्थान कौशल एवं आजीविका मिशन ने प्रदेश के युवाओं को रोजगार सृजन के आदर्श अवसर देने के उद्देश्य से अनेक योजनाएं एवं कार्यक्रम क्रियान्वित किये हैं। इन योजनाओं में शहरी एवं ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार परक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम, शहरी एवं ग्रामीण महिलाओं और युवा, दिव्यांग, जेल इनमेट्स एवं बाल सुधार गृहजन के लिए नियमित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम, ग्रामीण गरीब युवाओं के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, शहरी एवं ग्रामीण युवाओं के लिए कौशल विकास पहल योजना प्रमुख है। इसके अलावा कौशल प्रशिक्षण के लिए विशेष योजना तथा भामाशाह रोजगार सृजन योजना भी महत्वपूर्ण है। इन योजनाओं के तहत एक लाख 68 हजार से भी अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। कौशल विकास केन्द्रों की संख्या 280 है जिसमें 20 हजार 701 युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इन योजनाओं के माध्यम से अब तक 64 हजार 200 युवाओं को रोजगार के अवसर मिल चुके हैं। केन्द्रीयकृत सूचना तैयार करने प्रभावी पर्यवेक्षण एवं दोहरीकरण रोकने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने निर्णय लिया कि विभिन्न विभागों द्वारा आयोजित लघु अवधि कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का क्रियान्वयन एवं संचालन राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम के माध्यम से किया जाये। राज्य सरकार ने 9 विभागों की प्रशिक्षण योजनाओं को निगम के माध्यम से संचालित करने का निर्णय लिया। जनजातीय क्षेत्रीय विकास विभाग, राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद, भवन एवं अन्य निर्माण मण्डल, श्रम आयुक्त कार्यालय, अनुसूचित जाति एवं जनजाति वित्त एवं विकास निगम, स्वायत्त शासन विभाग, ग्रामीण विकास कार्यक्रम विभाग, सीमान्त क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम, अल्प संख्यक मामलात, वन एवं महिला अधिकारिता विभागों की प्रशिक्षण गतिविधियां निगम को सौंपी। राज्य सरकार की अभिसरण योजना के तहत अब तक 29 हजार 600 से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है।राज्य सरकार ने नवाचार करते हुए सभी कौशल विकास केन्द्रों को बायोमीट्रिक उपस्थिति सिस्टम से जोड़ने का निर्णय लिया है ताकि पर्यवेक्षण कार्य को अधिक प्रभावी बनाया जा सके। मनरेगा श्रमिकों के लिए प्रोजेक्ट लाइफ एक अनूठी पहल है। इसके तहत मनरेगा श्रमिकों का कौशल विकास एवं उन्नयन कर उनकी सीमित रोजगार स्थिति (एक वर्ष में 100 दिन) को पूरे वर्ष रोजगार प्राप्त करने की स्थिति में लाना है। दो वर्ष में 86 हजार पात्र आशार्थियों को कौशल प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है।राज्य सरकार ने योजना प्रबन्धन को सक्षम एवं प्रभावी बनाने के उद्देश्य से आई.एस.एम. एस प्रणाली लागू की है। इस पोर्टल का उद्देश्य विभिन्न हितधारकों यथा राजस्थान एस.एल.डी.सी. प्रबन्धन, राज्य के साथ कन्वर्जेंस योजना के तहत जुड़े विभिन्न विभाग, प्रशिक्षण प्रदात्ता संस्थाएं, कौशल विकास केन्द्र, प्रशिक्षणार्थी राज्य एवं जिला कार्यदल, एसेसमेंट एजेन्सियां, रोजगार प्रदाता संस्थाएं एवं इच्छुक युवा आदि को एक साथ लाना है। यही नहीं प्रदेश मेें आर.एस.डी.सी., आई.टी.आई., एम्पलायमेंट एक्सचेंज तथा अपे्रन्टिस शिप आदि साझेदारी द्वारा जो भी कौशल सम्बन्धित क्रियाकलाप किये जा रहे हैं उन्हें एकीकृत करने के लिए कॉमन पोर्टल विकसित किया गया है। राजस्थान कौशल आजीविका विकास निगम की पिछले तीन वर्षों में रोजगार प्रदान करने की क्षमता रखने वाले 15 अभिरुचि प्रस्तावों जिनमें 12 आर्थिक क्षेत्र, सामान्य क्षेत्र, सरकारी एवं निजी शिक्षण सांस्थान एवं उद्योगों के साथ साझेदारी के मिले हैं। इन प्रस्तावों के माध्यम से उद्योग एवं प्रशिक्षण प्रदाता एजेन्सियों को आमंत्रित कर रोजगारोन्मुखी कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा। राज्य सरकार ने युवाओं को अधिकाधिक रोजगार अवसर प्रदान करने के लिए नये क्षेत्रों को खोज की है। इसके तहत मेडिकल, नर्सिंग, एलाइड हैल्थ केयर, स्पा एवं वैलनेस, न्यूटरीसन एवं स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में अभिरुचि प्रस्ताव जारी किये हैं। इसके अलावा लोक संगीत, लोकनृत्य, लोकवाद्य, हैण्डीक्रफ्ट्स, फड़ पेंटिंग, थेवा आर्ट तथा अन्य समान कौशल में भी अभिरुचि प्रस्ताव आमंत्रित किये हैं। बायोमेड एकेडेमी ने डायलिसिस असिस्टेंट तैयार करने के लिए प्रशिक्षण शुरू कर दिया है।राज्य सरकार ने एक बड़ी पहल करते हुए प्रदेश में कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना का निश्चय किया है। इस सम्बन्ध में हाल ही आयोजित रिसर्जेंट राजस्थान समिट के दौरान आई.एल.डी. (इंस्टीट्यूट ऑफ लीडरशिप डवलपमेंट) से एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये गये। इस सहमति पत्र के माध्यम से सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस विकसित करने का प्रस्ताव है। विश्वविद्यालय के अधीन उच्च श्रेणी के इलेक्ट्रीकल एवं रिन्यूएबल सोलर एनर्जी, अपैरल टे्रनिंग एण्ड डिजाइन, पर्यावरण उत्कृष्टता एवं मांग के अनुसार अन्य उत्कृष्टता केन्द्रों की स्थापना की जायेगी। राज्य सरकार की पहल का ही परिणाम है कि आर.एस.एल.डी.सी. ने जाने माने उद्योगों के साथ कौशल विकास एवं रोजगार सृजन की बड़ी भागीदारी की। रिसर्जेंट राजस्थान शिखर सम्मेलन के दौरान प्रदेश में कौशल, रोजगार एवं उद्यमिता विभाग ने बेरोजगार एवं वंचित वर्ग को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए ग्यारह समझौते किये जो एक बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है। राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम अपनी संचालित गतिविधियों के मूल्यांकन कार्य को बेहतर एवं प्रभावी बनाने को कृत संकल्पित है। यही कारण है कि क्रियान्वयन के मूल्यांकन की तृतीय पक्ष मूल्यांकन योजना बनाई है। इसके तहत अलग-अलग क्षेत्रों में सेक्टर स्किल काउंसिल से मूल्यांकन करने के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। वर्तमान में इस तरह के 18 सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये गये और अन्य क्षेत्रों से भी हस्ताक्षर प्रक्रिया जारी है। अब तक 56 हजार से अधिक युवाओं का तृतीय पक्ष मूल्यांकन करवाया गया और सफल युवाओं को प्रमाण पत्र जारी किये गये । राज्य सरकार ने रोजगार सृजन के क्षेत्र को महत्वपूर्ण मानते हुए अनेक नवाचार किये हैं। इसके तहत स्किल कलैण्डर भी तैयार करवाया गया है जिसमें आगामी महीनों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का अनुमानित विवरण दिया गया है। इस तरह कलैण्डर के आधार पर इच्छुक युवक युवतियां अपने स्तर पर पाठ्यक्रमों एवं क्षेत्रों का चयन सुविधा से कर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। प्रदेश में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत सूक्ष्म इकाइयों के बढ़ने के स्तर एवं उनकी ऋण जरूरतों के अनुसार तीन वित्तीय उत्पाद बनाये गये हैं। शिशु, किशोर एवं तरुण उत्पाद के रूप में इनका विश्लेषण कर प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अन्तर्गत एक लाख 46 हजार युवाओं को नये सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग स्थापित करने के लिए लाभान्वित किया जा चुका है। राज्य की प्रत्येक ग्राम पंचायत में विशेष ग्राम सभाओं का आयोजन कराया जाता है। विशेष ग्राम सभाओं के प्रथम चरण में 10 दिसम्बर, 2014 को राज्य में 80 हजार इच्छुक एवं योग्य युवक और युवतियों की पहचान की गई। द्वितीय चरण 9 दिसम्बर, 2015 को पुनः विशेष ग्राम सभाओं का आयोजन राज्य के 32 जिलों की 288 पंचायत समितियों की 9 हजार 604 ग्राम पंचायतों में किया गया। राज्य भर में 1.67 लाख इच्छुक एवं योग्य युवक-युवतियों की कौशल प्रशिक्षण के लिए पहचान की जा चुकी है। राज्य के समस्त जिलों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे युवाओं को वित्तीय कौशल पर ज्ञान अभिवद्र्धन हेतु निगम द्वारा वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों को अभियान के रूप में चलाया गया है।
वर्तमान में 75 वित्तीय साक्षरता अभियान के माध्यम से कुल 5 हजार 104 युवाओं को वित्तीय कौशल, मुद्रा योजना आदि की जानकारी प्रदान की गयी है। प्रशिक्षणार्थियों में कौशल प्रशिक्षणों के प्रति रुझान बढ़ाने के उद्देश्य से आरएसएलडीसी द्वारा मार्च,2015 में स्किल आईकन ऑफ दी मंथ की शुरूआत की गई। इसके लिए प्रतिमाह जिलों से प्राप्त आवेदनों में से आरएसएलडीसी में गठित चयन समिति द्वारा माह के स्किल आइकन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। युवा कौशल विकास की महत्ती भूमिका के प्रति जनमानस में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आएसएलडीसी द्वारा 15 जुलाई,2015 को प्रथम एवं 15 जुलाई,2016 को द्वितीय विश्व युवा कौशल का आयोजन किया गया। इस अन्तर्राष्ट्रीय दिवस का आयोजन आरएसएलडीसी ने सीआईआई के संयुक्त तत्वावधान में किया जिसमें युवाओं, प्रशिक्षण प्रदाताओं, रोजगार प्रदाताओं एवं जिला प्रशासनों की सक्रिय भागीदारी रही। राज्य के समस्त 33 जिलों में जिला कलक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कौशल एवं आजीविका विकास समिति का गठन किया गया है।
जिला प्रबन्धक, आरएसएलडीसी इस समिति का सदस्य सचिव है तथा विभिन्न विभागों के अधिकारी एावं जनप्रतिनिधि समिति के सदस्य हैं। समिति की बैठक प्रत्येक माह आयोजित की जाती है जिसमें जिला स्तर पर कौशल विकास केन्द्रों की प्रगति एवं भावी योजनाओं पर चर्चा की जाती है। तीन वर्षों में दस लाख युवक-युवतियों को रोजगार, तीन लाख के करीब को प्रशिक्षण, योजनाओं एवं गतिविधियों की क्रियान्विति में पारदर्शिता एवं नवाचार ऎसे कदम हैं जो राजस्थान में सरकारी एवं निजी क्षेत्र के सहयोग से रोजगार सृजन की दृष्टि से मील का पत्थर साबित हो रहे हैं। आने वाले दिन प्रदेश के युवक-युवतियों के भविष्य निर्माण एवं रोजगार प्रदान करने की दृष्टि से सुनहरे साबित होंगे। वर्तमान सरकार की जनहितैषी नीतियां निश्चित रुप से युवक-युवतियों के जीवन को संवारने और भविष्य को समर्थ एवं सशक्त बनाने में सार्थक और सफल होंगी।
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