सुबह का भूला शाम को घर वापस आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते....! [@ खास खबर EXCLUSIVE: समाजवादी पार्टी की टाइमलाइन, कब और कैसे हुआ विवाद ?]
उमाकांत त्रिपाठी
नई दिल्ली। पूर्व क्रिकेटर और बीजेपी के बागी नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करने के बाद कांग्रेस में शामिल होने की सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। उनकी पत्नी नवजोत कौर ने पहले ही कांग्रेस का दामन थाम लिया था। माना जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू ईस्ट अमृतसर सीट से चुनाव लड़ेंगे। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि नवजोत सिद्धू को जलालाबाद सीट से चुनावी रण में उतारा जा सकता है जो कि पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल का गढ़ है। यहां देखने वाली बात यह होगी कि नवजोत सिंह सिद्धू का बीजेपी छोडऩा बीजेपी के लिए कितना नुकसानदायक हो सकता है और
कांग्रेस में शामिल होना कांग्रेस के लिए कितना फायदेमंद?
बीजेपी के स्टार प्रचारक रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने बीजेपी से नाराजगी के चलते पार्टी छोड़ दी। नवजोत सिंह सिद्धू ने साल 2004 में अमृतसर की लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा था। जहां से वो विजयी रहे थे। जिसके बाद से राजनीति के अहम चेहरों में शामिल सिद्धू 2009 लोकसभा के चुनाव में भी विजया रहे।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर से सिद्धू का टिकट काट दिया गया और उनकी जगह अमृतसर सीट से अरुण जेटली को टिकट दिया गया। जोकि सिद्धू की नाराजगी को सबसे बड़ा कारण था। हालांकि अरुण जेटली को कांग्रेस के अमरिन्दर सिंह ने हार का मुंह दिखाया था। बीजेपी ने अरुण जेटली को राज्यसभा भेजा लेकिन उन्होने जुलाई 2016 में राज्यसभा से भी इस्तीफा दे दिया और बाद में बीजेपी छोड़ दी। गौरतलब है कि पंजाब की राजनीति में बड़ी भूमिका नहीं मिलने के चलते ही सिद्धू नाराज थे और उन्होने बीजेपी से बगावत की। बीच में सिद्धू के आम आदमी पार्टी में जाने की अटकलें लगाई जा रही थी लेकिन वहां बात नहीं बनी।
कई कॉमेडी शो और रियलटी शो के जज रहे सिद्धू के प्रशंसक और चाहने वाले पंजाब में ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने में हैं। इसके अलावा सिद्धू का पंजाब में अपना वोट बैंक है। जाहिर है कि सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने से कांग्रेस पार्टी को हर हाल में फायदा होना है।
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