वाराणसी। मायावती को पूर्वांचल के अंसारी बन्धु को पार्टी में
लेना और उन्हें क्लीन चिट देते हुए बेगुनाह साबित करने की दलील पेश करना
उनके लिए मुसीबत का सबब बन सकता है। पहले भी इस प्रकार के मुसीबत बाहुबली
मुख्तार के लिए मायावती झेल चुकी हैं । [@ पत्नी ने लगाई डांट तो पति ने दे दिया तलाक] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
मुख्तार
अंसारी पर बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय के कत्ल का आरोप है और उनकी
पत्नी अलका राय और गवाहों ने मायावती को कानूनी नोटिस देकर उनके खिलाफ
हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया है। इसके लिए आगामी 30 जनवरी
को बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ वाद दाखिल किये जाने की तैयारी की जा रही है।
कृष्णानंद राय मर्डर केस की सुनवाई दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में
चल रही है, उस हत्याकांड के आरोपी मुख्तार अंसारी और उनके भाइयों को
बेगुनाह बोल कर अपनी तरफ से क्लीन चिट देने की कोशिश कर मायावती ने अदालत
की अवमानना की है, इसलिए उनके खिलाफ कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट के तहत कानूनी
कार्रवाई की जानी चाहिए।
अंसारी परिवार इससे पहले भी एक बार साल 2007 में
बीएसपी में शामिल हो चुका है। 2009 में मुख्तार अंसारी के समर्थन में की गई
बनारस की रैली में भी मायावती इसी तरह का बयान देकर कानूनी लफड़े में फंस
चुकी हैं। उस वक्त भी कृष्णानंद राय की विधवा अलका राय ने इलाहाबाद
हाईकोर्ट में उनके खिलाफ याचिका दायर किया था, उस याचिका पर हाईकोर्ट ने
मायावती के खिलाफ केस चलाने के लिए एडवोकेट जनरल से परमिशन मांगी थी, लेकिन
परमीशन न मिलने और अदालत का फैसला आने से पहले ही अंसारी ब्रदर्स को
बीएसपी से बाहर कर दिए जाने की वजह से मायावती के खिलाफ कोई कानूनी
कार्रवाई नहीं हो सकी थी।
साल 2009 के मामले में
सीएम होने की वजह से एडवोकेट जनरल की परमीशन नहीं मिलने की वजह से हाईकोर्ट
ने कंटेम्प पेटीशन को खारिज तो कर दिया था, लेकिन मायावती के बयान पर गहरी
नाराज़गी जताते हुए यह टिप्पणी की थी कि जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों
व ज़िम्मेदार पदों पर बैठे हुए लोगों को इस तरह के बयान से बचना चाहिए।
अदालत ने मायावती समेत दूसरे लोगों को इस तरह के बयान से बचने की नसीहत दी
थी।
बुधवार की प्रेस कांफ्रेंस में भी मायावती ने
साल 2009 की ही बातों को अपने राजनीतिक फायदे के लिए अपने पुराने बयान को
दुहराते हुए अंसारी बन्धु के खिलाफ दर्ज मुकदमों को सियासी बदले की भावना
बताया तो साथ ही फिर से यह दोहराया कि कृष्णानंद राय मर्डर केस में उनके
खिलाफ कोई सबूत नहीं है। स्व.कृष्णा नन्द के परिवार वालों ने इस बारे में
हाईकोर्ट के वकील दुर्गेश कुमार से कानूनी सलाह ली है और तीस जनवरी को
अर्जी दाखिल करने की बात कही है।
अगर हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल होती है तो
मायावती पर इस बार कानूनी शिकंजा कस सकता है और वह मुसीबत में पड़ सकती हैं
क्योंकि कि अदालत ने 2009 में नेताओं के उन अपराधियों के लिए इस तरह के
क्लीन चिट देने पर सख्त ऐतराज जताया था जिन पर अदालत में कार्यवाही चल रही
हो ।
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