मंडी। हिमाचल प्रदेश मिड-डे-मील वर्करज यूनियन (सीटू) 7 मार्च को विधानसभा का घेराव करेगी। मिड-डे-मील वर्करज पिछले 10 सालों से अपने वेतन में बढ़ौतरी की मांग कर रहे हैं। यूनियन का आरोप है कि केंद्र व प्रदेश स्तर पर भाजपा व कांग्रेस की सरकारों ने मिड-डे-मील वर्करों के वेतन में बढ़ोतरी नहीं की। महंगाई के इस दौर में भी मिड-डे-मील वर्करों को मात्र एक हजार रुपए मासिक वेतन पर कार्यकर रहे हैं, जिससे इन्हें परिवारों का पालन पोषण करना मुश्किल हो गया है। इनके लिए छुट्टियों का भी कोई प्रावधान नहीं है और न ही कोई स्वास्थ्य सुविधा दी जाती है। [@ Breaking News : अब घर बैठे पाए Free JIO sim होम डिलीवरी जानने के लिए यहाँ क्लिक करे]
यूनियन का कहना है कि 70 प्रतिशत मिड-डे-मील वर्कर महिलाएं हैं उन्हें प्रसूती अवकाश भी नहीं दिया जाता है और न ही अन्य अवकाश जो प्रदेश व देश में महिलाओं को दिए जाते हैं वह भी इन्हें नहीं मिलते हैं। अब सरकार ने बच्चों की थालियों को धौने का काम भी इन्हें ही सौंप दिया है जिससे इन पर काम का बोझ और बढ़ गया है। सीटू के जिला सचिव गुरदास वर्मा ने कहा कि सरकार ने इनके मानदेय में बढ़ौतरी करने का आश्ववासन दिया था मगर यह केवल आश्ववासन ही रहा। इससे मिड-डे-मील कार्यकर्ताओं में रोष है।
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