नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पहली मुलाकात इस साल मई में हो सकती है। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक दोनों देशों के राजनयिक इसके लिए मोदी के अमेरिका दौरे की संभावनाएं तलाशने में जुट गए हैं। हालांकि मोदी और ट्रंप जुलाई में जर्मनी के शहर हैंबर्ग में होने वाले जी-20 देशों के सम्मेलन में एक दूसरे से मुखातिब होंगे। लेकिन दोनों तरफ की सरकारें इन नेताओं के बीच जल्द द्विपक्षीय बातचीत चाहती हैं। [# यहां पति के जिंदा रहते महिलाएं हो जाती हैं विधवा] [# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
मुलाकात क्यों जरूरी?
पिछले कुछ अरसे में अमेरिकी सियासी पार्टियों में तकरीबन हर मसले पर मतभेदों की खाई चौड़ी हुई है, लेकिन भारत के साथ रिश्ते उन चुनिंदा मसलों में से एक है जिस पर रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टियां एक राय रखती हैं, लिहाजा दोनों देश चाहेंगे कि रिश्तों को मजबूत बनाने की कवायद को आगे बढ़ाया जाए। मोदी के सामने ट्रंप के साथ मुलाकात में चर्चा के लिए एच-1बी वीजा का मुद्दा सबसे अहम होगा, क्योंकि प्रवासियों के खिलाफ ट्रंप की कड़ी नीति से भारत के सॉफ्टवेयर सेक्टर को नुकसान उठाना पड़ सकता है। मोदी भारत जैसे बाजारों में उत्पादन की ख्वाहिश रखने वाली अमेरिकी कंपनियों पर भी ट्रंप से सफाई चाहेंगे। हाल ही में लड़ाकू विमान बनाने वाली लॉकहीड मार्टिन और सेलफोन कंपनी एपल ने भारत में कारखाने बनाने की पेशकश की है, लेकिन ट्रंप कह चुके हैं कि विदेशों में नौकरियां ले जाने वाली अमेरिकी कंपनियों पर टैक्स बढ़ाया जाएगा।
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