सोलन ।मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि सोलन जिला के
नौणी स्थित डा वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय अनुसंधान के मुख्य केन्द्र
के रूप में उभरा है और कृषि तथा बागवानी क्षेत्र में नवीन तकनीकों व नए अनुसंधान कर
किसानों की आय में बढ़ौतरी कर रही है। हालांकि अनुसंधान तथा विस्तार गतिविधियां का मूल्यांकन
गहनता से होना चाहिए और इसके लिए विकास व अनुसंधान में अंतर को चिन्हित करने को अतिरिक्त
प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
अनुसंधान तथा विस्तार की नई तकनीकों को सीखने की आवश्यकता : मुख्यमंत्री गुरूवार को नौणी में डा वाई एस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय
के 32वें संस्थापना दिवस की अध्यक्षता कर रहे थे। वीरभद्र सिंह
ने कहा कि अमेरिका, स्वीडन, न्यूजीलैंड तथा यूरोप के कुछ देश, जो कृषि,अर्थव्यवस्था
के लिए जाने जाते हैं, से अनुसंधान तथा विस्तार की नई तकनीकों को सीखने की आवश्यकता
है। बागवानों में नई तकनीकों के प्रयोग और पुराने पौधों को नए पौधों से बदलने के लिए
एक योजना तैयार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को नई तकनीकों में
प्रशिक्षण हासिल करके इन तकनीकों को किसानों तक पहुंचाना चाहिए, ताकि फलों व सब्जियों
की पैदावार बढ़ाई जा सके।
विपणन की गतिविधियों का डिजीटलकरण आवश्यक: मुख्यमंत्री ने कहा कि विपणन की गतिविधियों का डिजीटलकरण
आवश्यक है। प्रदेश के सभी विपणन यार्ड जल्द से जल्द ऑनलाईन कर दिए जाएंगे तथा प्रदेश
सरकार सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों में शीत भण्डारों को खोलने के लिए प्रोत्साहन देगी।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने प्रदेश में फलों और सब्जियों के शीत भण्डारों के
लिए कुछ स्थलों को चिन्हित किया है।वीरभद्र सिंह
ने कहा कि किसान ऑनलाईन के माध्यम से नई तकनीक, बाजारों के नवीनतम दरों तथा अपने उत्पाद
बेचने के सही समय के बारे में जान सकते हैं। उन्होंने कहा कि और अधिक व्यावहारिक प्रदर्शनियों
व सम्मेलनों को करवाया जाना चाहिए, जहां किसानों के साथ अनुसंधान पर विचार.विमर्श होगा
तथा उन्हें नई तकनीकों से परिचित करवाकर इनका इस्तेमाल खेतों में भी किया जा सके।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार विश्वविद्यालय
में पानी की आपूर्ति की क्षमता को बढ़ाने पर विचार कर रही है
राज्य की हरियाली में वृद्धि:मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले प्रदेश में सेबों की पैकिंग
के लिए 85 हजार पेड़ सालाना काटे जाते थे, परन्तु उन्होंने प्रदेश में पेड़ों के कटान
पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया था। हालांकि यह एक कठिन निर्णय था, परन्तु आखिरकार पैंकिंग
के लिए कार्टन बक्सों को लोगों द्वारा स्वीकार कर लिया गया। उन्होंने कहा कि पेड़ों
के कटान पर लगे प्रतिबंध के निर्णय का कईयों ने विरोध किया, जिनमें वनों में स्थापित
आरा मशीनें भी थीं, जिन्हें वहां से हटाने के निर्देश दिए गए, ताकि लगभग एक लाख पेड़
सालाना कटने से बचाए जा सकें। परन्तु समय के साथ-साथ कुछ लोगों के सहयोग से प्रदेश
सरकार वनों को बचाने में सफल रही और आज राज्य की हरियाली में वृद्धि हुई है।
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