कानपुर।
नोट बंदी के 16वें दिन
भी शहर की बैंकों में करेंसी एक्सचेंज को लेकर लाइन लगाए रहे। लेकिन रूपया न मिलने
पर लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है जिससे बचने के लिए मैनेजरों ने आरबीआई पर दोष
मढ़ अपना पल्ला झाड रहें है।
आठ
नवम्बर से नोटबंदी का आदेश लागू होने के दो दिन बाद से ही बैंकों के बाहर लंबी
लाइने लगना शुरू हो गई। जो 16वें दिन
भी बैंकों के बाहर लोग अपने खातों से रूपया निकालने के लिए जद्दोजहद करते रहें।
लेकिन रूपया न मिलने से लोग आक्रोशित होकर बैंक मैनेजरों को कोस रहें है।
नमक
फैक्ट्री चौराहा स्थित बैंक आफ बड़ौदा में रूपया निकालने के लिए सुबह से लाइन में
लगी नेहा गुप्ता ने बताया कि तीन दिन से रूपया निकालने के लिए परेशान हॅूं। बैंक
मैनेजर रूपए नहीं होने की बात कहकर वापस लौटा रहें है। यह भी आरोप लगाया कि मैनेजर
मंगलवार को अपने कुछ परिचितों की पास बुक जमा करवा कर शाम को पैसे बांट दिए। इसी
तरह काकादेव पंजाब नेशनल बैंक में लाइन लगाए हरीराम ने कहा कि दलालों के चलते
लोगों को रूपया नहीं मिल पा रहा है।
अधिक कहने पर मैनेजर यह कह देतें है कि आरबीआई
रूपया ही नहीं दे रहा है तो कैसे हम ग्राहकों को दे। रंजीत सिंह ने कहा कि पीएम
मोदी को चाहिए कि सबसे पहले बैंक मैनेजरों की संलिप्तता की जांच करवानी चाहिए।
बैंकों में जब तक भय व्याप्त नहीं होगा तब तक ऐसे ही लोग परेशान होते रहेंगे।
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