धौलपुर। जिले के बाडी सामान्य चिकित्सालय में ब्लड़ स्टोरेज को प्रारम्भ हुए पूरे 11 वर्ष पूर्ण होने जा रहे है। लेकिन विड़म्बना यह है कि चिकित्सकों एवं कर्मियों की इच्छा शक्ति मजबूत ना होने के चलते ब्लड़ स्टोरेज अब शोपीस बन कर रह गया है। यूं तो रक्तदान को महादान कहा जाता है रक्त की कमी के कारण मौतों को रोकने के लिए जहां स्वास्थ विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है। जिसके लिये चिकित्सा संस्थाओं को संसाधन उपलब्ध करा रखे है। [@ कुश्ती का खुद का सपना अधूरा छोड़ बेटियों को बनाया कुश्ती चैंपियन]
तो वहीं दूसरी ओर सामाजिक संस्थाओं द्वारा समय समय पर ब्लड डोनेट कैम्प आयोजित कर रक्त की कमी से मरने वाले लोगों को बचाने की एक मुहिम छेड़ रखी है। लेकिन बाड़ी चिकित्सालय की व्यवस्थाओं को देखा जाये तो बड़ी हैरानी वाली बात सामने देखी जा सकती है। क्योकि बाड़ी में ना तो ब्लड डोनरों की कोई कमी है और ना ही कैम्प लगाने वालों की, लेकिन बावजूद इसके क्षेत्र के मरीजों को ब्लड कस्बे के सामान्य चिकित्सालय में नहीं मिल पाता है। हालांकि सामाजिक संस्थाओं द्वारा जिले भर में सबसे अधिक बाडी कस्बे से लगभग 80 प्रतिशत ब्लड डोनेट होकर धौलपुर ब्लड बैंक में जाता है और विडम्बना स्वरूप हमारे कस्बे के रोगियों को ही अस्पताल की अव्यवस्था के चलते ब्लड से महरूम होते देखा जा सकता है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सरकार कितनी भी सुविधाएं व संसाधन उपलब्ध करवा दे । लेकिन जब तक चिकित्सक जिम्मेदारी से मरीजों को इन संसाधनों से लाभान्वित नही करेंगे,तब तक मरीजों को लाभ नहीं मिलेगा।
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