मुंबई। महाराष्ट्र में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के लिए सीटों के
बंटवारे को लेकर भाजपा और शिवसेना में चल रहा गतिरोध टूट गया है। भाजपा और
शिवसेना के नेताओं ने मंगलवार को संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि नए
प्रस्ताव पर घटक दलों से बातचीत के बाद शाम तक फैसला होने की उम्मीद है।
हालांकि, इन नेताओं ने आधाकारिक तौर पर यह नहीं बताया कि नया प्रस्ताव क्या
है।
सीटों के बंटवारे को लेकर नया फार्मूला शिवसेना की ओर से दिया गया।
аइसके
अनुसार शिवेसना 151 सीटों पर लडेगी जबकि भाजपा के लिए 130 सीटें छोडी
जाएंगी। महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों में शेष सात सीटें छोटे सहयोगी
दलों के लिए छोडेगी। सीटों के बंटवारे के इस फॉर्मूले पर दोनों पार्टियों
की मुहर लग गई है, मगर देखना यह है कि सहयोगी दल सात सीटों के साथ संतुष्ट
होते हैं या नहीं। पहले इन दलों के लिए 18 सीटें छोडने का प्रस्ताव था,
जिसके लिए वे तैयार भी थे। पिछले चुनाव में इन दलों ने इतनी ही सीटों पर
चुनाव लडा था।
शिवसेना-भाजपा ने यह साफ किया है कि अभी सहयोगियों से बात नहीं की गई है और
शाम को इनसे बात होगी। फार्मूले के मुताबिक, जो अन्य सहयोगी दल हैं, उनसे
बात कर उनकी सीटों को इन दो दलों (भाजपा-शिवसेना) के बीच बांटा जाएगा। साथ
ही उन दलों को विधान परिषद में जगह देने की बात कही जाएगी।
аप्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना की ओर से राज्यसभा सांसद संजय राउत तो भाजपा
की ओर से विनोद तावडे मौजूद थे। भाजपा नेता विनोद तावडे ने कहा कि दोनों
पार्टियां चाहती हैं कि महायुति बनी रहे। युति टूटे ऎसा दोनों दलों को नहीं
लगता है। उन्होंने कहा कि सीटों के बंटवारे के कई फॉर्मूले पर काम चल रहा
है और हम अपने सहयोगी दलों से बात करके फैसला करेंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में
मौजूद शिवसेना के प्रवक्ता ने संजय राउत ने भी कहा कि हम चाहते हैं कि
हमारा गठबंधन कायम रहे। महायुति में शिवसेना, भाजपा के अलावा चार सहयोगी दल
आरपीआई, शिवसेना स्वाभिमानी शेतकारी संगठन. आरएसपी और शिव संग्राम हैं।
इससे पहले शिव सेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार को एक भाषण में कडा
रूख दिखाते हुए राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से भाजपा को 119 देने की
पेशकश की थी। हालांकि, इसके बाद उद्धव ने गतिरोध खत्म करने के लिए केंद्रीय
मंत्रियों राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज को सोमवार को फोन किया था।
उन्होंने सुझाव दिया कि भाजपा 126 सीटों पर लड सकती है, जो 2009 के चुनाव
से सात सीटें ज्यादा हैं। भाजपा और शिव सेना के बीच मुख्यमंत्री पद भी एक
विवाद का मुद्दा बना हुआ है। शिव सेना का कहना है कि अगर गठबंधन सत्ता में
आता है तो उद्धव मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन भाजपा इससे सहमत नहीं है, उसका
कहना है कि जिस पार्टी के विधायकों की संख्या ज्यादा होगी, उसका
मुख्यमंत्री बनेगा।
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