इलाहाबाद। संगम की रेती पर बसने वाला तंबुओ का शहर आखिर सही समय पर कैसे बसेगा ? मेला प्रशासन ने मेले की तैयारी पूर्ण करने के लिये 31 दिसंबर की जो तिथि निर्धारित की थी वह बीत चुकी है। ऐसे में माघमेला के लिए तैयारियां युद्ध स्तर पर न की गई तो मेले में साधु-संत व मठो के कोप भाजन के लिये भी प्रशासन को तैयार रहना होगा। [@ साल 2016 में गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च हुए टाॅप 10 टाॅपिक्स]
अभी हालात यह हैं कि सड़क, पानी, सफाई जैसी मूल सुविधायें ही नदारद हैं। न सड़कों का काम पूरा हुआ है और न ही पीने के पानी के लिये पाइप लाइन पूरी बिछाई जा सकी। सबसे बड़ी समस्या पीपे के पुल को लेकर है। गंगद्वीप में छोटा पांटून पुल का निर्माण और वहां की मूलभूत सुविधाएं पूरी तरह नदारद हैं।
गौरतलब है कि मेला प्रशासन को 31 दिसंबर तक मेले की तैयारियां पूरी करनी
थी। लेकिन प्रशासन की इस लापरवाही
के चलते अब तो मकर संक्रान्ति का शाही स्नान पर्व भी अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ने के आसार है। लोक निर्माण विभाग ने मुख्य मार्गों पर तो चकर्ड प्लेटें बिछा दी हैं, लेकिन संपर्क मार्गों पर अभी यह काम शुरू भी नहीं हुआ है। इसी तरह शिविरों के पास तक वाटर लाइन पहुंचाने का काम भी अधूरा पड़ा है। अव्यवस्थाओं के चलते संतों को अपने शिविर लगाने में भी दिक्कतें महसूस हो रही है। मेले के लिए अस्पताल की शुरूआत होना भी मुश्किल दिख रहा है।
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