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ससुराल छो़डने भर से परित्याग नहीं:HC

leaving house of inlaws do not make case for separation: HC - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि पति या पत्नी, दोनों में से कोई एक केवल इस आधार पर ही छो़डने का फैसला नहीं कर सकता कि ससुराल पहले किसने छोडा क्योंकि विवाहित जोडे में से एक का आचरण दूसरे को अलग रहने के लिए बाध्य कर सकता है। जस्टिस प्रदीप नंद्राजोग और जस्टिस योगेश खन्ना की पीठ ने कहा कि छोडना एक जगह से वापसी ही नहीं है बल्कि यह विवाह के सभी कर्तव्यों का त्याग है और पति या पत्नी में से किसी एक द्वारा बिना किसी उचित कारण या दूसरे की सहमति के बिना उसे छोड देना है।

हाईकोर्ट ने एक मामले में यह व्यवस्था दी जिसमें उसने एक परिवार अदालत में, पत्नी द्वारा परित्याग किए जाने के आधार पर पति को दिया हुआ तलाक रद्द कर दिया। पीठ ने कहा, रिकॉर्ड से पता चलता है कि प्रतिवादी (पति) ने अपीलकर्ता (पत्नी) को छोडा था जो आज तक अपने गुजारा भत्ते के लिए लड रही है। रिकॉर्ड पर है कि पत्नी के पास अलग रहने के लिए पयार्प्त आधार थे। पीठ ने कहा, हमारी राय है कि द्वारका की परिवार अदालत के जज ने प्रमाण को सही तरीके से नहीं समझा। हालांकि अपीलकर्ता (पत्नी) ससुराल छोड कर गई थी लेकिन उसने यह कभी नहीं चाहा कि उसके वैवाहिक रिश्ते हमेशा के लिए खत्म हो जाएं।

पीठ ने कहा कि परिवार अदालत का फैसला इस तथ्य पर आधारित है कि पत्नी ने छह सितंबर 2003 को पति की सहमति के बिना ससुराल छोडा था और पति ने इसे क्रूरता का आधार और उसके (पत्नी) द्वारा किया गया परित्याग बना दिया। पीठ के अनुसार, पत्नी ने गवाही में साफ कहा कि उसने पहले 25 जनवरी 2002 को और फिर छह सितंबर 2003 को पति के आचरण की वजह से ससुराल छोडा और दोनों ही बार वह गर्भवती थी। हाईकोर्ट के अनुसार, पति ने जिरह के दौरान माना था कि उसने अपनी पत्नी पर अपने पुत्र को मार डालने का आरोप लगाया था जबकि यह आचरण क्रूरता है। इस जोडे के पुत्र की जन्म के कुछ ही घंटे बाद मौत हो गई थी।

फैसले में पीठ ने कहा कि छह सितंबर 2003 को पत्नी के अभिभावकों द्वारा आ कर पत्नी को अपने साथ ले जाने तक पति का घर से बाहर रहना और दो दिन बाद झूठे आधार पर तलाक के लिए आवेदन कर देना इससे साफ जाहिर होता है कि वह (पति) पत्नी को कितना सम्मान देता था और उसके साथ कैसा व्यवहार करता था।

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