चुरू। चाइनीज आइटम की हवा भले ही प्राचीन रीति-रिवाजों को पीछे छोडऩे का प्रयास कर रही है। लेकिन दीपोत्सव दीपावली के त्यौहार पर बाजारों में वर्तमान में भी मिट्टी के दीपक की लौ के आगे चाइनीज आइटम की चकाचौंध फीकी नजर आती है। वैसे भी चाइनीज आइटम के देशभर में बहिष्कार के बाद कुंभकार के चाक ने गति पकड ली है, जिससे दीपावली की जगमग में परंपरागत मिट्टी के दियों की मांग तेज हो गयी है। दीपावली तो रोशनी का त्योहार है, ऐसे में जब तक मिट्टी से बने दीये की रोशनी नहीं होती, तब तक अंधेरा छंटता नहीं दिखता। कुम्हार द्वारा महज 11 सैकिण्ड में एक दीपक को आकृति दी जाती है।
इस बार मिट्टी से दीपक बनाने वाले कुंभकार ने चीन को मात देने की पूरी तैयारी की है, तभी यहां दीपावली के एक महीने पहले से ही मिट्टी के दीये बनाने का काम शुरू हो चुका है। पूरा परिवार मेहनत से मिट्टी के उत्पादों के निर्माण में लगा है। चूरू जिलामुख्यालय के ईदगाह मोहल्ला, प्रतिभा नगर और चांदनी चौक इलाके में दीपावली के आगमन से पुर्व ही मेहनतकश कुम्भकार चाक पर मिट्टी के दीये तैयार करने में लगे हुए है। कुम्हार दिनभर में जितने दीये बनाकर बाजार में लाते हैं शाम तक वह सभी बिक रहे हैं।
इस सम्बन्ध में पचास वर्षीय मूलचन्द उत्साह के साथ बताते हैं कि वह बचपन से चाक चला रहे हैं, बच्चों का लालन—पालन और पढाई—विवाह इत्यादि सभी कार्य उन्होने इस चाक को चलाकर कमाई की है। उन्होंने बताया कि इस कला की कीमत आज बढी भी है, और इस बार मिट्टी के दीयों की मांग बढ रही है। इनका कहना है कि मिट्टी के दीपक के बिना लक्ष्मी पूजन अधूरा है।
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