भवारना(कांगड़ा) । बंदला- पालमपुर से चलने वाली
कृपाल चंद कूहल की हालत बद से बदतर हो गई है आैर इसका कोई खैर-ख्वाह नहीं है । इसके रखरखाब पर न तो आईपीएच विभाग ध्यान दे रहा है न ही अब प्रसाशन इसकी देख-रेख कर रहा है। आलम ये है कि इसमें गंदगी
भर चुकी है।
भवारना के मुख्य बस स्टाप व बाजार के कुछ हिस्से में लोग इसे डस्टबिन के
तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। क्षेत्र में गंभीर बीमारी की संभावना बन गई है। बागवानों
व किसानों की जरूरत के समय इस कूहल में पानी से यह कूहल नदी की तरह बहती है। हालांकि
अभी यह कूहल सूखी है। कूहल में पानी तभी बहता है जब किसान धरने की चेताबनी सरकार को
देता है। इसके पानी से करीब 30 गांवों के किसान लाभान्वित होते हैं। मगर यह कूहल राजनीति
का शिकार होती रही है। आईपीएच विभाग द्वारा इसकी खुदाई कर इसे और गहरा कर दिया है।
इससे किसी अनहोनी की आशंका बन गई है।
हालांकि जब इसे उखाड़ा गया था उस समय विभाग के
अधिकारियों ने जल्द काम पूरा करने का आश्वासन दिया था। मगर 3 माह बीतने पर भी काम पूरा नहीं हुआ। कृपाल चन्द कूहल के प्रधान लेख राज राणा ने बताया
कि इसके रखरखाब के लिए आईपीएच विभाग से हर बार मिन्नते करनी पड़ती हैं। कूहल पर जाले
लगाने की बात हुई थी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। भवारना पंचायत के उपप्रधान तनु भारती
ने बताया कि सांसद शांता कुमार से मिले 5 करोड़ रुपए का सही उपयोग नहीं हुआ।
आईपीएच
विभाग के एसडीओ त्रिलोक धीमान ने बताया कि कूहल का काम चला है। पानी की सप्लाई पीछे से कम है। जिन लोंगों ने इसके
ऊपर अतिक्रमण किया है उसको हटा रहे हैं। पूर्व विधायक विपिन परमार ने बताया कि लोगों
को समय पर पानी न देने के कारण इसका राष्ट्रीय उत्पाद पर असर पड़ रहा है। मगर जैसे
ही सरकार सता में आती है तो इस कूहल के कार्य को प्राथमिकता पर करवाया जाएगा।
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